Kumbh 2019: संगम की रेती पर संयम,श्रद्धा एवं कायाशोधन का‘कल्पवास’शुरू

punjabkesari.in Monday, Jan 21, 2019 - 01:19 PM (IST)

प्रयागराजः कुंभ में पौष पूर्णिमा के पावन पर्व पर श्रद्धा की डुबकी के साथ ही संयम, अहिंसा, श्रद्धा एवं कायाशोधन के लिए तीर्थराज प्रयाग में गंगा, यमुना और अ²श्य सरस्वती की रेती पर कल्पवासियों ने डेरा जमा लिया। पुराणों और धर्मशास्त्रों में कल्पवास को आत्मा की शुद्धि और आध्यात्मिक उन्नति के लिए जरूरी बताया गया है। यह मनुष्य के लिए आध्यात्म की राह का एक पड़ाव है, जिसके जरिए स्वनियंत्रण एवं आत्मशुद्धि का प्रयास किया जाता है। हर वर्ष श्रद्धालु एक महीने तक संगम गंगा तट पर अल्पाहार, स्नान, ध्यान एवं दान करके कल्पवास करते है। कल्पवास पौष माह के 11वें दिन से माघ माह के 12वें दिन तक किया जाता है। 

वैदिक शोध एवं सांस्कृतिक प्रतिष्ठान कर्मकाण्ड प्रशिक्षण केन्द्र के आचार्य डा आत्माराम गौतम ने बताया कि तीर्थराज प्रयाग मे प्रतिवर्ष माघ महीने मे विशाल मेला लगता है। इस अवसर पर लाखों श्रद्धालु यहां एक महीने तक संगम तट पर निवास करते हुए जप, तप, ध्यान, साधना, यज्ञ एवं दान आदि विविध प्रकार के धार्मिक कृत्य करते हैं। इसी को कल्पवास कहा जाता है। कल्पवास का वास्तविक अर्थ है-कायाकल्प। यह कायाकल्प शरीर और अन्त:करण दोनों का होना चाहिए। इसी द्विविध कायाकल्प के लिए पवित्र संगम तट पर जो एक महीने का वास किया जाता है जिसे कल्पवास कहा जाता है। 

प्रयागराज में कुंभ बारहवें वर्ष पड़ता है लेकिन यहां प्रतिवर्ष माघ मास मे जब सूर्य मकर राशि मे रहते हैं, तब माघ मेला एवं कल्पवास का आयोजन होता है। मत्स्यपुराण के अनुसार कुंभ में कल्पवास का अत्यधिक महत्व माना गया है।  उन्होंने बताया कि आदिकाल से चली आ रही इस परंपरा के महत्व की चर्चा वेदों से लेकर महाभारत और रामचरितमानस में अलग-अलग नामों से मिलती है। बदलते समय के अनुरूप कल्पवास करने वालों के तौर-तरीके में कुछ बदलाव जरूर आए हैं लेकिन कल्पवास करने वालों की संख्या में कमी नहीं आई है। आज भी श्रद्धालु भयंकर सर्दी में कम से कम संसाधनों की सहायता लेकर कल्पवास करते हैं।   

 

 

 

Ruby