कानून ऐसी चीज है जो लगातार बदलती रहती है: PM मोदी

punjabkesari.in Sunday, Apr 02, 2017 - 02:00 PM (IST)

इलाहाबाद: इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 150 वर्ष पूर्ण होने पर साल भर से चल रहे कार्यक्रम के आज होने जा रहे समापन समारोह में नरेन्द्र मोदी और कई अन्य हस्तियां शामिल हुई। इस कार्यक्रम में पीएम नरेंद्र मोदी और सीएम योगी एक साथ मंच पर थे। इसी के साथ मंच पर चीफ जस्टिस जे.एस खेहर, कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद, यूपी के राज्यपाल राम नाईक और उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य भी मौजूद थे।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने न्याय व्यवस्था में तकनीक के इस्तेमाल पर जोर देते हुए कहा कि कानून का लक्ष्य हर नागरिक का कल्याण है। मोदी ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 150वें स्थापना वर्ष के समापन समारोह में कहा कि देेश की जनता और अदालतो पर से बोझ कम करने की दिशा में काम कर रहे हैं और अभी तक 12 सौ कानूनों को हमने खत्म किया है। न्याय व्यवस्था में हमारी जो जिम्मेदारी होगी उसे पूरा करेंगे।

उन्होंने कहा कि तकनीक से सबका काम आसान होगा। एसएमएस से मुकदमे की तारीख मिले, कानून सिर्फ अमीरों का नहीं है। कानून सबके लिए है। कानून सबके लिए बराबर होना चाहिए।  उन्होंने कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय भारत के न्याय विश्व का तीर्थ क्षेत्र है। न्यायालय और जेल को जोड़ा जाए तो अपराधी नहीं भाग पाएंगे। इससे कैदियों को न्यायालय ले जाने में होने वाला खर्च भी बचेगा।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत के प्रधान न्यायाधीश जे एस खेहर को आश्वासन दिया कि सरकार न्यायपालिका पर बोझ कम करने और लंबित मामलों को निपटाने के उनके संकल्प का समर्थन करने के लिए हरसंभव प्रयास करेगी। मोदी ने न्यायपालिका, सरकार और लोगों से देश को नई उंचाईयों पर ले जाने के लिए 2022 का लक्ष्य निर्धारित करने के लिए कहा। वर्ष 2022 में आजादी के 75 वर्ष हो जाएंगे।

 पढ़िए और क्या-क्या बोले PM मोदी:-
- इलाहाबाद हाईकोर्ट भारत के न्याय का तीर्थ स्थल है
- कानून ऐसी चीज है जो लगातार बदलती रहती है
- कानून का लक्ष्य सभी लोगों का कल्याण करना है
- कानून सिर्फ अमीरों के लिए नहीं है
- 2022 के लिए संकल्प तैयार करें देशवासी

बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट एशिया का सबसे बड़ा और सबसे पुराना हाईकोर्ट है। इसकी स्थापना 17 मार्च 1866 में हुई थी। अपनी स्थापना के इसने 150 वर्ष पूरे कर लिए हैं। हाईकोर्ट की एक बेंच लखनऊ में है जिसमें राजधानी लखनऊ समेत 8 ज़िलों से जुड़े मामलों की सुनवाई होती है।