जानिए, राजबब्बर ने क्यों दिया UP कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा?

punjabkesari.in Wednesday, Mar 21, 2018 - 06:36 PM (IST)

लखनऊः बॉलीवुड अभिनेता राज बब्बर ने मंगलवार शाम कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दें दिया। वहीं उनके इस्तीफे से राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई। वैसे वो आए तो कांग्रेस में स्टार प्रचारक की हैसियत से थे, लेकिन उनके राजनीतिक कौशल को देखते हुए पार्टी ने उन्हें यूपी में अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सौंपी। हर किसी के मन में यह सवाल उठ रहा है कि राज बब्बर ने एेसा कदम क्यों उठाया?

राज बब्बर के प्रेम, अभिनय और राजनीति की जंग का सफर बेहद दिलचस्प है। स्मिता से उनकी दूसरी शादी के बाद वह काफी समय तक सुर्खियों से जुड़े रहे। बहुत कम लोग ही होंगे जो उनके अभिनय से लेकर राजनीतिक सफर से परिचित होंगे। खासकर आजकल की युवा पीढ़ी। तो आइए जानते हैं उनके उनसे जुड़े कुछ रोचक बातें।

हिंदू परिवार में हुआ राज बब्बर का जन्म 
राज बब्बर का जन्म उत्तर प्रदेश के टूण्डला में 23 जून 1952 को एक हिंदू परिवार में हुआ था। इनके 2 भाई और 4 बहनें हैं, जिसमें से यह सबसे बड़े हैं। राज बब्बर ने फिल्म 1977 में 'किस्सा कुर्सी का' से फिल्मी दुनिया में कदम रखा, लेकिन उन्हें फिल्मी दुनिया में पहचान 1980 में चोपड़ा प्रोडक्शन की फिल्म 'इंसाफ का तराजू' से मिली थी। इसमें इन्होंने निगेटिव रोल प्ले किया था।

स्मिता से शादी के बाद बटोरी सुर्खियां
राज ने अपने जीवन में 2 शादी की थी। उन्होंने पहली शादी थिएटर आर्टिस्ट और फिल्म निर्देशक नादिरा बब्बर से की थी, जबकि दूसरी शादी मशहूर अभिनेत्री स्मिता पाटिल से की थी। इनके आर्य बब्बर, जूही बब्बर और प्रतीक बब्बर 3 बच्चे हैं। आर्य और जूही नादिरा के बच्चे हैं, जबकि प्रतीक स्मिता पाटिल का बेटा है।

जनता दल से जुड़कर शुरु किया राजनीतिक सफर 
राज बब्बर ने 1989 में जनता दल से जुड़कर अपना राजनीतिक करियर शुरु किया। इसके कुछ वर्षों बाद वह समाजवादी पार्टी से जुड़े और 3 बार सांसद चुने गए। 1994 से 1999 तक वह राज्यसभा सांसद थे। वह 14वें लोकसभा चुनाव में दूसरी बार 2004 में लोकसभा सांसद बने। 2006 में राज बब्बर को सपा से निकाल दिया गया था। इसके 2 साल बाद 2008 में इन्होंने कांग्रेस पार्टी को ज्वाइन किया और 2009 में चौथी बार चुनाव लड़ा और जीते। 2014 में राज बब्बर ने गाजियाबाद से लोकसभा चुनाव लड़ा, जिसमें वह बीजेपी नेता वी के सिंह से चुनाव हार गए थे।


 

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