पशुधन विभाग मामला: 9 करोड़ 72 लाख की ठगी करने वाले गैंग का पर्दाफाश

punjabkesari.in Monday, Jun 15, 2020 - 12:05 PM (IST)

लखनऊ: उत्तर प्रदेश पुलिस के विशेष कार्यबल (एसटीएफ) ने पशुपालन विभाग में फर्जी टेण्डर के माध्यम से धोखाधड़ी कर 9 करोड़ 72 लाख रूपये की ठगी करने वाले गिरोह का पर्दाफाश करके रविवार को सचिवालय के दो कर्मचारियों और एक कथित पत्रकार समेत चार जालसाजों को गिरफ्तार किया।

STF की जांच में हुआ खुलासा
एसटीएफ के अधिकारियों ने बताया कि मध्य प्रदेश के इंदौर के रहने वाले मन्जीत सिंह भाटिया उर्फ रिंकू ने उत्तर प्रदेश के पशुपालन विभाग में टेण्डर के माध्यम से अपने साथ 9 करोड़ 72 लाख रूपये की ठगी होने की शिकायत की थी, जिसकी जांच एसटीएफ को सौंपी गई थी। जाँच में पता चला कि पशुपालन विभाग के विधानसभा सचिवालय स्थित कार्यालय में कुछ कर्मचारी और उनके सहयोगी अपने पद और दफ्तर तथा संसाधनों का दुरुपयोग कर आर्थिक लाभ प्राप्त कर रहे हैं।

विधानसभा कार्यालय के प्रधान सचिव समेत कई शामिल
इस मामले में पशुपालन विभाग के विधानसभा सचिवालय स्थित कार्यालय के प्रधान सचिव रजनीश दीक्षित और उसके सहयोगी आशीष राय और पशुपालन राज्य मंत्री के निजी सचिव धीरज कुमार को पूछताछ के लिए एसटीएफ कार्यालय बुलाया गया। जिसके बाद जुर्म स्वीकार करने एवं प्राप्त साक्ष्यों के आधार पर इन तीनों को गिरफ्तार कर लिया गया। इसके अलावा उनके साथी कथित पत्रकार ए. के. राजीव को लखनऊ के नेहरू इन्क्लेव स्थित उसके घर से गिरफ्तार किया गया।

उपनिदेशक SK मित्तल के नाम से फर्जी ID बरामद
पकड़े गए लोगों के पास कुल 28,32,000 रुपए नकद, एक परिचय पत्र, दो फर्जी परिचय पत्र तथा एक बन्द अटैची में दस्तावेज बरामद किये गये। इन परिचय पत्रों में पशुपालन विभाग में उपनिदेशक एस. के. मित्तल के नाम से बना परिचय पत्र भी शामिल है

सचिवालय के एक कमरे को कर रहे थे उपयोग: राय
आशीष राय ने पूछताछ में जांचकर्ताओं को बताया कि वह पशुपालन विभाग के विधानसभा सचिवालय स्थित कार्यालय के प्रधान सचिव रजनीश दीक्षित, सहायक समीक्षा अधिकारी उमेश मिश्र, निजी सचिव धीरज कुमार देव, रघुबीर यादव एवं सचिवालय के सरकारी चालक विजय कुमार के सहयोग से विधानसभा सचिवालय स्थित एक कमरे को एस. के. मित्तल, उपनिदेशक, पशुपालन विभाग की तख्ती लगाकर उपयोग करता है।

दो पत्रकार सहित इन लोगों ने किया सहयोग: राय
राय ने बताया कि वह उस कमरे में ए. के. मित्तल बन कर बैठता था। इन्हीं लोगों के साथ मिलकर उसने मन्जीत सिंह भाटिया उर्फ रिंकू से फर्जी वर्क आर्डर जारी कर कई बार में 9 करोड़ 72 लाख 12 हजार रुपए ठगे। उसने बताया कि इस अपराधिक कृत्य में मोन्टी गुर्जर, रूपक राय, संतोष मिश्र, कथित पत्रकार ए. के. राजीव, अमित मिश्र, उमाशंकर तिवारी, दिल बहार सिंह यादव, अरूण राय एवं पत्रकार अनिल राय भी सहयोगी रहे हैं।

मंजीत ने राय को टेण्डर के नाम पर दिए करोड़ों
गिरफ्तार अभियुक्त रजनीश दीक्षित ने पूछताछ में बताया कि वह पशुधन, मत्स्य एवं दुग्ध विकास विभाग में प्रधान निजी सचिव के पद पर कार्यरत है। मंत्री के निजी सचिव धीरज कुमार देव के माध्यम से आशीष राय से सम्पर्क हुआ था, जिनके प्रस्ताव पर एवं करोड़ो रूपये के लोभ में आकर विधानसभा सचिवालय के सरकारी कमरे को पालन विभाग में उपनिदेशक एस.के.मित्तल का कार्यालय बताकर आशीष राय को उसमें बैठाने में सहयोग प्रदान किया, जिससे मंजीत सिंह भाटिया ने झांसे में आकर आशीष राय को उपनिदेशक समझा और टेण्डर के नाम पर कई बार में करोड़ों रूपये दिये। उसने और उसके साथियों ने आशीष के साथ मिलकर मन्जीत को कूटरचित वर्कआर्डर भी दे दिया, जिसके एवज में उसे कई बार में लाखों रूपये प्राप्त हुये।

Edited By

Umakant yadav