लॉकडाउन इफेक्टः मिट्टी के बर्तन बनाने वाले कुम्हारों के सामने रोजी-रोटी का संकट

punjabkesari.in Sunday, May 31, 2020 - 04:04 PM (IST)

फर्रुखाबादः लॉकडाउन से मिट्टी के बर्तन बनाने वाले कुम्हारों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। लॉकडाउन के कारण मिट्टी के बने बर्तन और दूसरे सामानों की बिक्री तकरीबन ठप हो चुकी है। कुम्हारों के अनुसार पिछले साल गर्मी शुरू होने पर अच्छी बिक्री होती थी, लेकिन इस बार खरीददार नहीं आ रहे हैं,जिससे कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही। 

लॉकडाउन के कारण शादी समारोह समेत अन्य कार्यक्रम रोक दिए गए हैं। शादी विवाह में मिट्टी के बर्तन की डिमांड काफी बढ़ जाती थी, जिसमें उनके परिवार की रोजी-रोटी चलती थी, लेकिन अब शादी के मौके पर बिकने वाले मिट्टी के बर्तन को पूछने वाला भी कोई नहीं है, जिससे कुम्हारों की स्थिति काफी खराब चल रही है। जनपद में ज्यादातर लोग कुल्हड़ में चाय और कुल्हड़ वाली लस्सी पीने के शौकीन थे,फिलहाल सभी दुकानें बंद है, जिस कारण इसकी बिक्री पर भी आफत आ गई है।

ऐसे में कुम्हारों का सारा व्यापार ठप पड़ा हुआ है। बरहाल इस लॉकडाउन ने तमाम गरीबों की कमर तोड़कर रख दी। कुम्हार ने बताया कि दूरदराज से मिट्टी खरीद कर लाते थे। लॉकडाउन के चलते मिट्टी भी नहीं मिल रही है। अगर मिल भी रही तो दो गुने दाम है। जो बुग्गी पहले तीन सौ रुपये में मिलती थी। वह अब पांच से छः सौ रुपये में बिक रही है।मिट्टी भी नहीं बची है। किसी तरह हम लोगों का काम चल रहा है। लॉकडाउन में बाजार बंद होने से आमदनी ठप है। जान-पहचान वाले कुछ एक ग्राहक ही मटके ले जाते हैं। 

इससे कभी-कभी 200 से 300 रुपए मिल जाते हैं। गर्मी में मार्च से ही घड़ा, सुराही की अच्छी बिक्री शुरू हो जाती थी। रोजाना तकरीबन सात से आठ सौ रुपये की आमदनी होती थी, लेकिन इस बार सीजन का एक महीना बीत चुका है और कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही। लॉकडाउन के कारण बिक्री तकरीबन ठप हो चुकी है। अगर 31 मई के बाद भी लाॅकडाउन लागू रहता है तो हम लोगों को खाने पर आफत आ जाएगी। 


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Tamanna Bhardwaj

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