लोकसभा चुनाव 2019: विकास पर भारी ‘राम’!

punjabkesari.in Friday, Dec 08, 2017 - 09:40 AM (IST)

लखनऊ: देश में राम मंदिर मुद्दे को लेकर चल रही बहस के बीच अब 2019 के लोकसभा चुनाव में उठाए जाने वाले मुद्दे को लेकर चर्चा शुरू हो गई है। 2014 का लोकसभा चुनाव भाजपा ने भ्रष्टाचार और विकास के मुद्दे को लेकर लड़ा था लेकिन 2019 आते-आते पार्टी के बड़े नेता अब विकास की बजाय ‘राम’ का सहारा ढूंढने लगे हैं। आने वाले चुनाव में राम मंदिर का मुद्दा विकास पर भारी पड़ सकता है। सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई के बाद से ही भाजपा के नेताओं की तरफ से इस मुद्दे पर बयानबाजी शुरू हो गई है।

इस बयानबाजी को आने वाले लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी द्वारा जमीन तैयार किए जाने के तौर पर देखा जा रहा है। पहले भी राम मंदिर का मुद्दा भाजपा के लिए सियासी तौर पर फायदे वाला रहा है लेकिन मामले के सुप्रीम कोर्ट में होने के कारण पार्टी के आला नेता इस मामले में ज्यादा बयानबाजी करने से बचते रहे हैं।

1996 के बाद भाजपा 10 साल सत्ता में रह चुकी है लेकिन अतीत में पार्टी का कोर मुद्दा रहा राम मंदिर उसके एजैंडे के अंत में आता रहा। पिछली बार के चुनाव के दौरान भी पार्टी ने विकास व भ्रष्टाचार के मुद्दे को  ज्यादा भुनाया जबकि अपने कोर मुद्दे राम मंदिर और जम्मू-कश्मीर में धारा 370 हटाने को पूरे प्रचार की पृष्ठभूमि में ही रखा है। पार्टी के नेता यही बयान देते रहे कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का निर्णय ही अंतिम और मान्य होगा।

संघ प्रमुख ने कहा- मंदिर अयोध्या में बनेगा
बीते दिनों राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने भी इस मुद्दे पर बयान दिया और कहा कि अयोध्या में राम मंदिर बनाना हिंदुओं की आस्था का प्रश्र है और मंदिर अयोध्या में ही बनाया जाएगा। हालांकि उन्होंने इस मामले में आपसी सहमति की भी बात की लेकिन 2019 के चुनाव से पहले इस तरह की बयानबाजी आने वाले दिनों की राजनीति की तरफ इशारा कर रही है।

कांग्रेस को बैकफुट पर लाने की रणनीति
भाजपा इस मुद्दे पर देश की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस को बैकफुट पर लाने की रणनीति पर काम कर रही है। पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह ने इस मामले में राहुल गांधी को अपनी स्थिति स्पष्ट करने की चुनौती दी। कांग्रेस के नेता और सुप्रीम कोर्ट में सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील कपिल सिब्बल ने अदालत में दलील दी कि मंदिर मामले में सुनवाई 2019 के लोकसभा चुनाव पूरे होने के बाद होनी चाहिए क्योंकि पहले सुनवाई होने की स्थिति में इसका राजनीतिक असर हो सकता है। हालांकि अदालत ने कपिल सिब्बल की इस दलील को नकार दिया लेकिन अदालत में दी गई इस दलील को भाजपा के अध्यक्ष अमित शाह ने लपक कर कांग्रेस पार्टी के भावी अध्यक्ष राहुल गांधी पर हमला बोल दिया और उन्हें इस मामले पर स्थिति स्पष्ट करने को कहा।

कांग्रेस के लिए क्यों मुश्किल
कांग्रेस अभी भी 6 राज्यों में भाजपा के मुकाबले प्रमुख विपक्षी पार्टी है। गुजरात के अलावा हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश में कांग्रेस के अलावा किसी सियासी पार्टी का अस्तित्व नहीं है तथा इन राज्यों की लोकसभा सीटों पर पार्टी का मुकाबला सीधा भाजपा से होता है। यदि कांग्रेस इस मुद्दे पर स्थिति स्पष्ट नहीं करती है तो हिंदू बहुल इन राज्यों में कांग्रेस के लिए मुसीबत खड़ी हो सकती है।