लोकसभा चुनाव 2019 का हुआ शंखनाद, राजनीति के इन बड़े चेहरों पर रहेंगी नजरें

punjabkesari.in Monday, Mar 11, 2019 - 05:21 PM (IST)

लखनऊ: लोकसभा चुनाव 2019 का बिगुल बज गया है। 17वीं लोकसभा की 543 सीटों पर चुनाव के लिए तारीखों का ऐलान हो गया है। इस बार लोकसभा चुनाव 7 चरणों में होंगे। 11 अप्रैल, 18 अप्रैल, 23 अप्रैल, 29 अप्रैल, 6 मई, 12 मई और 19 मई को वोटिंग होगी। इसके बाद 23 मई को नतीजे आएंगे। लोकसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा के साथ ही देश भर में आचार संहिता लागू हो गई है। इस दौरान 2019 चुनावों के बड़े राजनीतिक चेहरों पर सबकी नजरें रहेंगी।

नरेंद्र मोदी
भाजपा ने 2013 में मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया था, तब से लोकसभा चुनाव समेत 32 चुनाव हो चुके हैं। हर चुनाव में मोदी ही भाजपा के लिए प्रचार का प्रमुख चेहरा रहे हैं।

अमित शाह
पिछले लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश के प्रभारी रहे अमित शाह ने राज्य में एन.डी.ए. को 80 में से 73 सीटें दिलवाई थीं। जुलाई 2014 में उन्हें भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया। शाह के अध्यक्ष बनने के बाद अब तक 27 राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए। इनमें से 14 चुनावों में भाजपा को जीत और 13 में हार मिली।

राहुल गांधी
दिसम्बर 2017 में कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद राहुल गांधी को 2018 के आखिर में कामयाबी मिली जब मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने भाजपा को सत्ता से बाहर कर दिया। 20 साल में यह पहला मौका है, जब लोकसभा चुनाव में सोनिया गांधी कांग्रेस का नेतृत्व नहीं करेंगी। राहुल के नेतृत्व में पार्टी का यह पहला लोकसभा चुनाव होगा।

प्रियंका गांधी
राहुल गांधी ने प्रियंका को इसी साल 23 जनवरी को कांग्रेस महासचिव बनाया और पूर्वी उत्तर प्रदेश की 41 लोकसभा सीटों की जिम्मेदारी सौंपी। नेहरू-गांधी परिवार से कांग्रेस में यह 11वीं एंट्री है। इससे पहले प्रियंका सिर्फ अमेठी-रायबरेली में ही प्रचार करती थीं।

ममता बनर्जी
मोदी विरोधी महागठबंधन को आकार देने की कोशिशों में ममता बनर्जी सबसे प्रमुख चेहरा हैं। 2014 में मोदी लहर के बावजूद बंगाल में ममता की तृणमूल कांग्रेस ने 42 में से 34 सीटें जीती थीं। ममता ने हाल ही में कोलकाता में विपक्ष की बड़ी रैली की थी। इसमें 15 से ज्यादा दलों के नेता शामिल हुए थे। हालांकि, ममता बंगाल में कांग्रेस के साथ गठबंधन से इन्कार कर चुकी हैं।

मायावती-अखिलेश
2014 के लोकसभा चुनाव में सपा सिर्फ 5 सीटें जीत सकी थी। वहीं, बसपा का खाता भी नहीं खुला था। लेकिन दोनों पाॢटयों का उत्तर प्रदेश में वोट शेयर 20 प्रतिशत के आसपास था। 25 साल बाद दोनों दल भाजपा को रोकने के लिए साथ आए हैं। 2014 में भाजपा का उत्तर प्रदेश में वोट शेयर 43 प्रतिशत था। ऐसे में मायावती-अखिलेश का साथ आना भाजपा के लिए बड़ी चुनौती साबित हो सकता है।

Anil Kapoor