समाजवादी गढ़ में ‘विद्रोहियों’ के तेवर से रोचक हुआ चुनावी घमासान
punjabkesari.in Saturday, Mar 30, 2019 - 09:59 AM (IST)
इटावाः समाजवादी गढ़ के तौर पर विख्यात इटावा संसदीय सीट पर विभिन्न राजनीतिक दलों के कुछ नेताओं के बगावती तेवरों ने लोकसभा चुनाव को रोचक बना दिया है। यहां लगभग हर दल में विद्रोहियों का बोलबाला नजर आ रहा है।
केंद्र और राज्य में सत्तारूढ़ बीजेपी ने अपने मौजूदा सांसद अशोक दोहरे का टिकट काटकर उनके स्थान पर एससी/एसटी आयोग के अध्यक्ष और आगरा के निवर्तमान सांसद रामशंकर कठेरिया को चुनाव मैदान में उतारा है। पार्टी सूत्रों के अनुसार डॉ. कठेरिया का उनकी कर्मभूमि आगरा में व्यापक विरोध था और इसी वजह से उनको उनकी जन्मभूमि इटावा से चुनाव लड़ने के लिए भेज दिया गया है। उधर, टिकट कटने से नाराज मौजूदा बीजेपी सांसद अशोक दोहरे नेे कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से संपर्क स्थापित करके ना केवल कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की बल्कि इटावा संसदीय सीट से टिकट भी ले आए।
सपा-बसपा गठबंधन की ओर से घोषित किए गए उम्मीदवार कमलेश कठेरिया अपने वोट बल के आधार जीत का दावा करने में लगे हुए हैं। इनके पिता प्रेमदास कठेरिया साल 2009 में इटावा संसदीय सीट से सांसद निर्वाचित हो चुके हैं, लेकिन 2014 में मोदी लहर में प्रेमदास कठेरिया को बीजेपी के अशोक दोहरे के मुकाबले करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा। उसके बाद सपा ने प्रेमदास कठेरिया के बेटे कमलेश कठेरिया को भरथना सुरक्षित विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में उतारा।
यहां पर कमलेश कठेरिया बीजेपी की सावित्री कठेरिया के मुकाबले करीब 2000 वोटों से पराजित हो गए। सपा हाईकमान ने पहले प्रेमदास कठेरिया को चुनाव मैदान में उतारने का मन बनाया था, लेकिन ऐन मौके पर प्रेमदास के मुकाबले उनके बेटे कमलेश कठेरिया को चुनाव मैदान में उतार दिया।