LokSabha Elections 2019: कभी मतपेटियों का पहचान चिन्ह होता था एक रुपये का नोट

punjabkesari.in Saturday, May 04, 2019 - 04:28 PM (IST)

प्रयागराजः इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) की वैद्यता और विश्वनीयता भले ही आज सवालों के घेरे में हो मगर एक जमाना था जब मत पेटियों की हेराफेरी रोकने के लिए उस पर एक रुपये का नोट सील कर उसका नंबर नोट कर लिया जाता था। ईवीएम में गड़बड़ी को लेकर लगभग हर चुनाव में बवाल होता है। चुनाव में हार का ठीकरा ईवीएम पर फोड़ा जाना आम बात हो चुकी है।

इससे पहले बैलेट पेपर से होने वाले चुनाव में मतपेटिका बदलने के आरोप हारने वाली पार्टी लगाती रही थी। इसकी रोकथाम के लिए विपक्षी दलों ने अनोखी तरकीब इजाद की और मतदान पूरा होने के बाद वहां मौजूद प्रत्याशी के अभिकर्ता मतपेटी सील करने के दौरान एक रुपये का नोट सील कर देते थे। सपा नेता और प्रदेश प्रवक्ता के. के श्रीवास्तव ने बताया कि नोट चस्पा करने से पहले उसका नंबर लिख लिया जाता था। मतगणना के दौरान सील से पहले चस्पा किए गए नोट के नंबर का मिलान किया जाता था। उसके बाद मतपेटी से मत निकालकर गणना की जाती थी। इस प्रकार कई चुनाव में यह प्रयोग कारगर रहा।

श्रीवास्तव ने बताया कि आपातकाल के बाद गड़बड़ी रोकने का यह कारगर उपाय बन गया था। वर्ष 1977 में हुए छठवें लोकसभा चुनाव में वह जनता पार्टी के प्रत्याशी छोटे लोहिया के नाम से विख्यात जनेश्वर मिश्र के मतदान अभिकर्ता थे। मतदान पूरा होने के बाद कर निरीक्षक के सामने मतपेटी सील करने के दौरान सभी मतपेटिकाओं पर एक रूपये का नोट चस्पा कर उसके नंबर लिख लिए थे। वह मतगणना के दौरान भी अभिकर्ता थे।

उन्होंने बताया कि यह प्रयोग काफी हद तक सफल रहा। इसके अलावा विपक्षी दल के कार्यकर्ता मतपेटी के मतदान स्थल से ट्रक में लोड़ होकर स्ट्रांग रूम तक पहुंचने तक मोटरसाइकिल से साथ-साथ टोली में जाते थे। स्ट्रांग रूम के बाहर दरी डालकर क्रम से सारी रात पहरा देते थे। इस तरह भी रोक लगाने के प्रयास किए गए।

Deepika Rajput