Madhumita Murder Case: अमरमणि त्रिपाठी दंपत्ति को किया गया रिहा, बेटे अमनमणि ने कहा- मां हैं बेहद बीमार

punjabkesari.in Saturday, Aug 26, 2023 - 01:59 AM (IST)

Gorakhpur News, (अभिषेक सिंह): कवयित्री मधुमिता शुक्ला हत्याकांड में दोषी करार दिये गये पूर्व कद्दावर मंत्री अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि त्रिपाठी को उच्चतम न्यायालय के आदेश के अनुपालन में उत्तर प्रदेश सरकार के निर्देश के बाद शुक्रवार शाम रिहा कर दिया गया। लेकिन अभी वे बाबा राघव दास (बीआरडी) मेडिकल कॉलेज में पत्नी के साथ अपना इलाज करा रहे हैं। देर शाम गोरखपुर जिला जेल के अधिकारी कागजी औपचारिकता पूरी करने के बाद मेडिकल कालेज पहुंचे। इसके बाद जेल अधिकारी ने पंजाब केसरी संवाददाता के साथ बातचीत में कहा कि त्रिपाठी दंपत्ति को न्यायिक अभिरक्षा से मुक्त कर दिया गया है।

इधर अमरमणि त्रिपाठी के पुत्र और पूर्व विधायक अमनमणि ने कहा कि उनकी मां बेहद बीमार हैं और डाक्टरों की सलाह के बाद अगला कदम उठायेंगे। इसके पहले जिलाधिकारी ने शासन के आदेश के क्रम में रिहाई पर अंतिम मुहर लगायी। 25-25 लाख का जमानती मुचलका भरने के बाद त्रिपाठी दंपत्ति को न्यायिक अभिरक्षा से मुक्त कर दिया गया। इधर रिहाई की खबर के बाद नौतनवा में समर्थकों में खासा जोश है। फिलहाल त्रिपाठी दंपत्ति आज रात गोरखपुर मेडिकल कालेज में अपने इलाज के लिए रुके रहेंगे। इनके अगले कदम पर सभी की निगाह है कि वे कब अपने घर अथवा निर्वाचन क्षेत्र जायेंगे। बता दें कि जेल में सजा काटने के दौरान उनके अच्छे आचरण को ध्यान में रखते हुए दंपति को रिहा करने का आदेश जेल प्रशासन और सुधार विभाग ने गुरुवार को जारी किया था।”

गौरतलब है कि कवयित्री मधुमिता शुक्ला की नौ मई 2003 को उनके लखनऊ स्थित पेपर मिल कॉलोनी स्थित आवास पर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। हत्या के समय मधुमिता सात महीने की गर्भवती थीं। शूटर संतोष राय और पवन पांडे के साथ अमरमणि भी शामिल थे। उनकी पत्नी मधुमणि और भतीजे रोहित मणि त्रिपाठी को हाई-प्रोफाइल हत्या मामले में आरोपी बनाया गया था। घटना के समय अमरमणि बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सरकार में मंत्री थे। सूत्रों ने कहा, “ शुरुआत में सरकार ने मामले की जांच सीबीसीआईडी की अपराध शाखा को सौंपी थी जबकि बाद में इसे केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को स्थानांतरित कर दिया गया।”

इस बीच मधुमिता की बहन निधि शुक्ला ने उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर कर मामले को उत्तर प्रदेश से बाहर स्थानांतरित करने का अनुरोध किया था। निधि की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने 2005 में मामले को उत्तराखंड स्थानांतरित कर दिया था जहां देहरादून की एक अदालत ने 24 अक्टूबर 2007 को सभी 5 आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। अमरमणि ने हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, लेकिन उनकी सजा बरकरार रखी गई। सूत्रों ने बताया कि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को ऐसे कैदियों की रिहाई पर विचार करने की सलाह दी थी, जिन्होंने जेल में अच्छा व्यवहार किया हो। उन्होंने कहा, “ इसके बाद अमरमणि ने भी अपनी रिहाई के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की जिसके बाद शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार को इस साल 10 फरवरी को उन्हें रिहा करने का निर्देश दिया।” अदालत ने अपने आदेश में कहा कि अमरमणि की उम्र 66 साल है और उन्होंने 20 साल जेल में काटे हैं। उनके अच्छे आचरण को देखते हुए उन्हें रिहा किया जाना चाहिए अगर वह किसी अन्य मामले में शामिल नहीं हैं।
 

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Mamta Yadav