लुधियाना से साइकिल पर 700 Km का सफर पूरा कर मदूरों का जत्था पहुंचा लखीमपुर खीरी

punjabkesari.in Friday, May 01, 2020 - 01:47 PM (IST)

लखीमपुर खीरी: लॉकडाउन में भले ही सरकार लाख दावे करें परंतु ज़मीनी हकीक़त कुछ अलग ही है। सरकार के काम केवल फाइलों में ही दिखते है मज़दूरों इस कदर परेशान है इसका एक नज़ारा लखीमपुर खारी में देखने को मिला। जहां पर लुधियाना से साइकिल पर 700 किलोमीटर का सफर तय कर मदूरों का जत्था लखीमपुर पहुंचे है। इनको देख कर ऐसा लगता है कि लॉकडाउन में इनका सब कुछ छिन चुका है ऐसे में किसी तरह अपने घर को पहुंचना चाहते है। शहर के बाहर हाईवे पर मौजूद एक होटल के बाहर रोशनी दिखी तो सोचा यही रात गुजार लें। वे वहीं भूखे और प्यासे ही लेट गए। तभी इधर से गुजऱ रहे शहर के समाजसेवी मोहन बाजपेयी की इनपर नजर पड़ी। मोहन बाजपेयी ने घर से चाय बिस्कुट फल लाकर उन्हें मुहैया कराया। पेट की आग इस कदर थी कि सारे मजदूरों को मानों कोई मसीहा मिल गया हो, लेकिन प्रसाशन का कोई नुमाइंदा ना इन तक पहुंचा और ना इनकी सुध ली।

बता दें कि अभी 200 किलोमीटर का सफर इन मजदूरों को तय करना है। 700 किलोमीटर लुधियाना से लखीमपुर तक का सफर करके साइकिल पर अपने छोटे छोटे बच्चों से साथ सफर कर आ रही सरिता का कहना है कि रास्ते में बहुत तकलीफों का सामना करना पड़ा। लोगों ने खाना भी खिलाया जिसके सहारे हम सब लखीमपुर तक पहुंचे हैं लेकिन शासन और प्रशासन की कहीं कोई मदद नहीं मिली। महिला ने बताया कि बलरामपुर जाना है और यह बचा हुआ सफर भी हम जैसे तैसे पूरा कर लेगे।

लखीमपुर खीरी के समाजसेवी मोहन बाजपेयी ने बताया किसी ने उनको फोन पर जानकारी दी की 40—50 लोग छोटे-छोटे बच्चों के साथ सफर कर रोड पर भूख से बेहाल बैठे हैं। वह लगातार पिछले 30 दिनों से भूखे लोगों के लिए भोजन की व्यवस्था कर रहे हैं। वे तत्काल इन यात्रियों को ढूंढने निकल पड़े और इनके लिए भी घर से चाय और बिस्कुट, केले लेकर मौके पर आए। 

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Ramkesh