माघ मेला 2022: संगम की रेत पर बसा तंबुओं का अस्थाई शहर, यहां होती हैं मूलभूत सभी सुविधाएं
punjabkesari.in Wednesday, Jan 19, 2022 - 04:50 PM (IST)
प्रयागराज: देश के सबसे बड़े धार्मिक आयोज़न माघ मेले का आगाज 14 जनवरी के मकर संक्रांति स्नान पर्व के साथ हो चुका है, पौष पूर्णिमा का स्नान पर्व के साथ कल्पवास की भी शुरुआत हो चुकी है। ऐसे में गंगा यमुना और अदृश्य सरस्वती के मिलन स्थल संगम तट पर एक नया अस्थाई शहर बस चुका है। इस नई बसी छोटी सी नगरी को कुम्भ नगरी की संज्ञा दी गई है। करीब 47 दिनों तक चलने वाले इस धार्मिक आयोजन के लिए एक नया शहर बसाया गया है। इस अस्थाई शहर में वह सभी सुविधाएं होती है, जो एक शहर में होती है। शहर तम्बुओ का बना होता है। हालांकि इस बार भी कोविड काल के चलते ज्यादा श्रद्धालु नही आ रहे है। इस नए शहर में पूरे 47 दिनों तक ना सिर्फ साधु संत बल्कि आम श्रद्धालु धार्मिक धुनि रमते नजर आते है।
इस अस्थाई शहर में होती है सभी मूलभूत सुविधाएं
विश्व में आस्था और श्रद्धा का सबसे बड़ा केंद्र माने जाने वाला माघ मेला अब बस चुका है। धार्मिक महत्त्व के अलावा यह मेला विश्व के प्रमुख सबसे बड़े मेले में से एक होते हैं, जहां पर देश-विदेश के लाखों श्रद्धालु स्नान करने के लिए आते हैं लगता है मानों एक नया शहर ही बस गया हो, तंबुओं के इस शहर में आपको केवल तंबू ही दिखाई देंगे जहा लोग रहते है, कल्पवास करते है। यहां पर विश्व का सबसे बडा़ जमावड़ा होता है साथ ही त्रिवेणी के संगम में स्नान करने की बहुत बड़ी महत्ता है,पर इस स्थान की तीसरी नदी सरस्वती अब से हजारों वर्ष पहले लुप्त हो चुकी है। आर्यकाल में यह स्थान प्रयाग कहा जाता था और आज इसको प्रयागराज कहते हैं। तम्बुओं के इस आस्थाई शहर में आम शहर की तरह पुलिस स्टेशन होते है, चिकित्सालय होते है। रेलवे टिकट काउंटर होते है, फायर स्टेशन, विधुत विभाग,रेलवे स्टेशन, डाक की सेवाए होती है, खाने पीने की सुविधा होती है। कपड़ों की दूकान आदि सभी जीवन से जुडी सभी सुविधाए होती है। इस आस्थाई शहर की खास बात ये है कि एक स्थायी शहर में अस्थाई शहर बसता है।स्थानीय लोग इस संयोग को शुभ मानते है और गौरवान्वित भी महसूस करते है।
अस्थाई शहर की खूबसूरती देखकर श्रद्धालुओं ने जमकर की तारीफ
करीब 1500 बीघे से ज़्यादा क्षेत्र में फैले इस अस्थाई शहर को 6 सैक्टर में विभाजित किया गया है। कोविड काल मे हो रहे इस बार के माघ मेले में ज्यादा लोगों के आने की उम्मीद कम है। लोगों को सही ढंग से नियंत्रित करने के लिए मेला प्रशासन ने 13 पुलिस थाने का निर्माण किया है। 1 मार्च को महाशिवरात्रि के स्नान पर्व के साथ माघ मेले का समापन होगा। माघ मेले आये श्रद्धालुओ का कहना है कि ये बिल्कुल अद्भुत नजारा है जिस जगह सितम्बर के महीने में मेला क्षेत्र में बाढ़ आयी हुई थी वही आज संगम की रेती में तंबुओं का शहर बसा हुआ।