सुसाइड नोट को लेकर महंत नरेंद्र गिरि के मामा बोले- अनपढ़ नहीं थे, 10वीं तक की थी पढ़ाई

punjabkesari.in Thursday, Sep 23, 2021 - 12:41 PM (IST)

प्रयागराज: अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद (Akhil Bharatiya Akhara Parishad) के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि (Mahant Narendra Giri) के सुसाइड नोट (Suicide note) को लेकर बड़ी खबर सामने आई है। महंत नरेंद्र गिरि के मामा प्रो महेश सिंह (Prof. Mahesh Singh) ने कहा है कि महंत नरेंद्र गिरी पढ़े लिखे थे। वे पढ़ना-लिखना दोनों जानते थे। प्रो महेश सिंह के मुताबिक, 1978 में सरयू प्रसाद इंटर कालेज (Saryu Prasad Inter College) आमीपुर गिर्दकोट हंड़िया प्रयागराज से उन्होंने 10वीं पास की थी।

'इंटर की पढ़ाई के दौरान बैंक में लग गई थी नौकरी'
उनके मामा प्रो महेश सिंह के मुताबिक, नरेंद्र गिरि ने हाई स्कूल की परीक्षा उनके साथ ही रहकर स्कूल से की थी, जब वे इंटर की पढ़ाई कर रहे थे तभी उनकी बैंक में नौकरी लगी और उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी। उन्हें धार्मिक ग्रंथ भी पढ़ना आता था। वे रामायण भी पढ़ते थे। प्रो महेश सिंह ने कहा कि जो लोग कई दिन से कह रहे हैं कि उन्हें पढ़ना लिखना नहीं आता था वे सरासर गलत हैं। पिछले तीन दिनों से यह इसे सुनकर आहत हूं। उन्हें पढ़ना भी आता था और लिखना भी आता था। प्रो महेश सिंह ने कहा कि उनकी राइटिंग जरूर खराब थी। महेश सिंह ने कहा कि जो लोग उनके सुसाइड नोट पर सवाल खड़े कर रहे हैं उन्हें सच नहीं मालूम है। हालांकि उन्होंने कहा कि वे महंत नरेंद्र गिरी हैंड राइटिंग नहीं पहचानते। 

शादी की बात चलने पर अचानक से गायब हो गए थे नरेंद्र गिरि: मामा महेश सिंह
महेश सिंह ने कहा कि जब उनकी शादी की बात चल रही थी, तो वे अचानक से गायब हो गए। इसके बाद 2001 कुंभ में प्रयागराज आए तो कहीं से मेरा नंबर लेकर मुझे फ़ोन किया और कहा मैं महंत नरेंद्र गिरि बोल रहा हूं। इस पर मैंने कहा कि मैं किसी नरेंद्र गिरि को नहीं जानता। फिर उन्होंने कहा कि मैं गुड्डू (बचपन का नाम) बोल रहा हूं। इसके बाद नरेंद्र गिरि ने बताया कि उन्होंने संन्यास ले लिया है और संन्यासी आखिरी प्रक्रिया के लिए मां और नानी की भिक्षा जरूरी है। जिसके बाद मैंने घर का रास्ता बताया और वे आए थे। प्रोफेसर महेश सिंह ने बताया कि उनकी उनसे अक्सर बात होती रहती थी। अभी 14 सितंबर को ही मेरी पुस्तक का विमोचन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से करवाने को लेकर हुई थी। उन्होंने कहा कि नरेंद्र गिरी समाजसेवी भी थे। वे गरीब बच्चों को पढ़ने के लिए किताबें और फीस भी देते थे। 

बता दें कि बता दें कि सोमवार शाम लगभग 5:30 बजे संदिग्ध परिस्थितियों में महंत नरेंद्र गिरी की मौत हो गई थी। वहीं मौके पर 11 पन्नो का सुसाइड नोट भी बरामद किया गया है। जिसमें उन्होंने आनंद गिरि, आद्या प्रसाद तिवारी और उनके बेटे संदीप को अपनी मौत का जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने सुसाइड नोट में शिष्य बलवीर गिरि को अपना उत्तराधिकारी बनाने की बात कही है। 


 

Content Writer

Tamanna Bhardwaj