ताजमहल पर तैयार दृष्टि पत्र को करें सार्वजनिक यूपी सरकारः SC

punjabkesari.in Thursday, Nov 29, 2018 - 02:55 PM (IST)

आगराः उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को उत्तर प्रदेश सरकार से कहा कि दिल्ली स्थित योजना एवं वास्तुकला विद्यालय द्वारा तैयार किए जा रहे दृष्टिपत्र को सार्वजनिक किया जाना चाहिए। न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, ‘‘इस बारे में कुछ भी गोपनीय नहीं है। योजना तथा वास्तुकला विद्यालय, दिल्ली ने न्यायालय को सूचित किया कि वह उत्तर प्रदेश के आगरा शहर में ताजमहल सुरक्षा एवं संरक्षा के लिए एक दृष्टि पत्र तैयार करने की प्रक्रिया में है। उसने कहा कि यह कुछ दिन में पूरा कर लिया जाएगा। उसने पीठ से कहा कि यह दस्तावेज राज्य सरकार को सौंप दिया जाएगा।

केन्द्र की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ए एन एस नाडकर्णी ने पीठ से कहा कि ताजमहल के लिए धरोहर योजना के प्रथम प्रारूप को 8 सप्ताह के भीतर अंतिम रूप दिया जाएगा। यह प्रारूप यूनेस्को को सौंपा जाना है। शीर्ष अदालत ने 25 सितंबर को अपने आदेश में उत्तर प्रदेश सरकार के लिए 17 वीं सदी के इस प्राचीन स्मारक के संरक्षण के लिये दृष्टि पत्र पेश करने की अवधि 15 नवंबर तक बढ़ा दी थी। न्यायालय ने इसके आस-पास के एक हिस्से को ‘धरोहर’ घोषित करने पर भी विचार करने के लिए कहा था।  

राज्य सरकार ने न्यायालय के सूचित किया था कि दृष्टिपत्र योजना तथा वास्तुकला विद्यालय तैयार कर रहा है और उसने इसे अंतिम रूप देने के लिए 15 नवंबर तक का समय देने क अनुरोध किया था। राज्य सरकार ने यह भी कहा था कि पूरे शहर को धरोहर घोषित करना मुश्किल होगा लेकिन ताजमहल, फतेहपुर सीकरी और आगरा किला स्थलों को शामिल करते हुए कुछ हिस्से को इसके दायरे में लाया जा सकता है। न्यायालय विश्व प्रसिद्ध ताजमहल को वायु प्रदूषण से संरक्षण के लिए पर्यावरणविद अधिवक्ता महेश चन्द्र मेहता की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा था। मेहता का आरोप है कि ताजमहल के आस-पास का हरित क्षेत्र छोटा हो गया है और यमुना के मैदानी क्षेत्र के भीतर और बाहर अतिक्रमण हो रहा है।     

 

Ruby