डाकुओं के चंगुल से छूटे भारतीय की आपबीती- खाने को देते थे कुत्ते का मांस(Pics)

punjabkesari.in Thursday, May 12, 2016 - 02:28 PM (IST)

लखनऊ: नाइजीरिया से समुद्री लुटेरों के चंगुल से छूटे संतोष भारद्वाज ने अपनी 47 दिनों की पूरी कहानी बयां की है। उन्होंने बताया कि कैसे लुटेरों ने उनके साथ बाकी बंधकों को कुत्ते और बंदर का कच्चा मांस खाने को दिया और जब उन्होंने मांस खाने से इंकार किया तो उन्हें जिंदा रखने के लिए सिर्फ नूडल्स परोसे गए। कुछ खाने के लिए देने से पहले लुटेरे जादू-टोना जैसी अजीबोगरीब हरकतें किया करते थे। वे हमारे सामने ही जंगली जानवरों को काट देते थे।

हर पांच दिन में बदल देते थे ठिकाना

संतोष के मुताबिक, 24 घंटे एके 47 लिए दो डाकू हमेशा उन लोगों की निगरानी करते थे। घने जंगलों के बीच हर पांच दिन डाकुओं का गिरोह अपना ठिकाना बदल दिया करता था। उनके पास सैटलाइट फोन था, जिससे बातचीत करते थे। डाकुओं ने उन लोगों को छोडऩे के बदले कंपनी से कई सौ मिलियन डॉलर की डिमांड की थी। उनकी डिमांड भी 30 दिनों में पूरी हो जाती, पर डाकुओं के साथ किसी बात को लेकर मतभेद हो गया था।

इस तरह डाकुओं ने बना लिया था बंधक
संतोष ने बताया कि 25 मार्च की रात 12:30 बजे नाइजीरियन शिप पोर्ट से 50 किमी दूर था। इस दौरान 8 से 10 की संख्या में असलहों से लैस समुद्री डकैतों ने उनके शिप को घेर लिया और फायरिंग शुरू कर दी। डकैतों ने शिप पर चढ़कर कैप्टन को अपने कब्जे में ले लिया और फिर उन्हें एक दूसरी बोट के जरिए किसी सुनसान जंगली टापू पर ले गए। वहां पहले से ही दर्जनों की संख्या में दूसरे समुद्री लुटेरे मौजूद थे। लेकिन सुषमा स्वराज की पहल के बाद संतोष की वतन वापसी हो सकी। संतोष को फिर अपने बीच पाकर उनकी फैमिली और पत्नी बेहद खुश हैं।