शादीशुदा से शादी करने पर नौकरी से बर्खास्त करना गलत: हाई कोर्ट

punjabkesari.in Friday, May 20, 2016 - 08:18 PM (IST)

इलाहाबाद: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने महिला कांस्टेबल की याचिका को मंजूर करते हुए फैसला दिया है कि शादी शुदा से विवाह कर लेने पर नौकरी से बर्खास्त कर देना बहुत कड़ा दण्ड है। इतना कड़ा दण्ड ऐसे मामलों में नहीं दिया जाना चाहिए। न्यायालय ने कहा है कि शादी शुदा पुरूष से महिला पुलिसकर्मी द्वारा शादी कर लेने पर यू.पी. गर्वनमेंट सर्वेंट कंडक्ट रूल्स 1956 की धारा 29 (2) के तहत सेवा से बर्खास्तगी का आदेश जारी करने का कोई प्राविधान नहीं है। विभागीय कार्रवाई पूरी करने के बाद लघु दंड ही दिया जा सकता है लेकिन सेवा से बर्खास्त करना गलत है। न्यायालय ने इसी के साथ सिपाही की बर्खास्तगी रद्द कर उसे तत्काल बहाली का निर्देश दिया है। 
 
यह आदेश न्यायमूर्ति एम.सी. त्रिपाठी ने कानपुर से बर्खास्त सिपाही अनीता यादव की याचिका को मंजूर करते हुए दिया है। याची के अधिवक्ता विजय गौतम का तर्क था कि जिस समय याची ने सिपाही ब्रजेश कुमार यादव से 20 मई 1995 में शादी की उस समय उसे नहीं पता था कि उसकी शादी हो चुकी है और उससे चार बच्चे हैं।  अधिवक्ता गौतम का कहना था कि याची की नियुक्ति बतौर सिपाही 15 मार्च 1994 को हुई थी और 20 जून 1994 को शादीशुदा सिपाही पति से शादी कर लेने की शिकायत पर जांचो परांत पुलिस अधीक्षक ने 20 जून 2014 को उसे नौकरी से बर्खास्त कर दिया था। बर्खास्तगी आदेश के खिलाफ दायर अपील को पुलिस उप महानिरीक्षक (डी.आई.जी) तथा रिवीजन को पुलिस महानिरीक्षक (आई.जी.) ने खारिज कर दिया था। तीनों आदेशों को याचिका दायर कर उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी।  याचिका को मंजूर करते हुए न्यायालय ने कहा कि सिपाही पति को उसकी गलती के लिए लघु दंड के रूप में प्रतिकूल प्रविष्टि दी गई है जबकि याची को इसी गलती के लिए सेवा से बर्खास्त कर दिया गया।
 
न्यायालय ने फैसले में कहा है कि सरकारी सेवा आचरण नियमावली 1956 की धारा 29 (2) में शादीशुदा से शादी को दुराचरण की श्रेणी में माना गया है लेकिन इसके लिए वृहद दंड का कोई प्राविधान नहीं है। न्यायालय ने कहा है कि विभाग नियमानुसार जांचो परांत याची सिपाही को लघु दण्ड दे सकता है लेकिन शादीशुदा से विवाह के आरोप में नौकरी से बर्खास्त किया जाना गलत है। अदालत ने यह भी कहा कि हिन्दू विवाह अधिनियम में भी कोई भी हिन्दू एक पति अथवा पत्नी के रहते दूसरी शादी नहीं कर सकता और ऐसे में यह शादी शून्य मानी जाएगी। ऐसे में सरकारी सेवा आचरण नियमावली 1956 की धारा 29 (2) के प्रावधान लागू नहीं होंगे।