कश्मीर के ‘स्थायी समाधान’ के लिए हो ‘जनमत संग्रह’: शंकराचार्य अधोक्षानंद

punjabkesari.in Monday, Aug 29, 2016 - 10:36 AM (IST)

मथुरा: गोवर्धन पीठाधीश्वर शंकराचार्य अधोक्षानंद देवतीर्थ ने समस्या के ‘‘स्थायी समाधान’’ के लिए कश्मीर के दोनों आेर ‘‘जनमत संग्रह’’ का समर्थन किया। उन्होंने यहां अपने आश्रम में संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि संयुक्त राष्ट्र प्रतिनिधियों की निगरानी में और संयुक्त राष्ट्र के बलों की सुरक्षा में कश्मीर के दोनों आेर जनमत संग्रह कराया जाना चाहिए।

शंकराचार्य ने कहा कि ‘‘जनमत संग्रह समय लेने वाली प्रक्रिया है’’ और मौजूदा संकट को समाप्त करने के लिए अलगाववादियों के साथ भी बातचीत की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि कश्मीर में शांति के लिए सरकार को हुर्रियत से बातचीत में नहीं झिझकना चाहिए। अपनी हालिया कश्मीर यात्रा का जिक्र करते हुए शंकराचार्य ने कहा कि कश्मीरी लोगों ने शिकायत की कि उनकी आवाज को ‘‘कुचला जा रहा है हालांकि वे भारत में रहना चाहते हैं।’’

उन्होंने कहा कि यह सरकार की संवैधानिक जिम्मेदारी है कि वह लोगों की बातों की सुने और वास्तविक मांगों का हल करे। उन्होंने कहा कि हो सकता है कि आंदोलन को कुचलने के लिए और प्रयास से लाभ नहीं हो और अपने लोगों की वास्तविक समस्या को सुनने के लिए सरकार नैतिक रूप से बाध्य है। उन्होंने जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की इस टिप्पणी को निराधार बताया कि कुछ लोग ही आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगर कुछ लोगों को बल द्वारा कुचलना संभव होता तो कश्मीर में 50 दिनों से कर्फ्यू नहीं होता।

शंकराचार्य ने कहा कि सरकार को पाकिस्तान के साथ बातचीत जारी रखनी चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि पाकिस्तान के साथ बातचीत के संबंध में सरकार को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की नीति का अनुसरण करना चाहिए वहीं उसे अलगाववादियों से भी बातचीत करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार को आतंकवादियों और सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे कश्मीरी निष्ठावानों के बीच ‘‘अंतर’’ को समझना चाहिए।