महाराष्ट्र के कोरेगांव की घटना दलितों के स्वाभिमान को कुचलने का प्रयास:मायावती

punjabkesari.in Wednesday, Jan 03, 2018 - 05:10 PM (IST)

लखनऊः बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने महाराष्ट्र में भीमा कोरेगांव शौर्य दिवस के 200वीं सालगिरह पर हुई घटना पर बयान दिया है। उन्होंने कहा कि कोरेगांव शौर्य दिवस पर दलित स्वाभिमान को कुचलने का प्रयास किया गया है।

मायावती ने जारी बयान में दोषियों को सख्त सजा देने की मांग के साथ कहा कि घटना की जितनी भी निन्दा की जाए, कम है। उनका आरोप है कि महाराष्ट्र में भाजपा की साजिश व संलितप्ता का ही परिणाम है कि उत्तर प्रदेश में सहारनपुर जिले के शंबीरपुर गांव की तरह ही महाराष्ट्र में पुणे के भीमा का कोरेगांव में जातीय संघर्ष कराने का प्रयास किया गया। 

मायावती ने कहा कि यह सर्वविदित था कि भीमा-कोरेगांव शौर्य दिवस की 200वीं वर्षगांठ के मौके पर दलित समाज के लोग बहुत बड़ी संख्या में वहां पहुंचने वाले हैं। आशा के अनुरुप लाखों दलित वहां पहुंचे। उन लोगों को सुरक्षा और जनसुविधा देने के बजाय मनुवादी सोच के लोगों ने उन पर ही हमला कर दिया। ऐसा भाजपा सरकार की साजिश व संरक्षण के बिना संभव ही नहीं है। इस मामले में महाराष्ट्र सरकार द्वारा न्यायिक जाँच का आदेश सिर्फ दिखावटी है और लोगों की आंखों में धूल झोंकने का प्रयास है।

बसपा प्रमुख ने कहा कि महाराष्ट्र के महार समाज के लोग युद्धक रहे हैं और इसी कारण ब्रिटिशकाल में उन्होंने सेना में रहकर काफी शौर्य अर्जित किया। यह सब इतिहास में किसी से भी छिपा नहीं है। इसी क्रम में बाबा साहेब डा. भीमराव अंबेडकर के अनुयायी, हर वर्ष पुणे के भीमा-कोरेगाँव स्थित शौर्य भूमि जाकर हर वर्ष अपने बुजुर्गो व देश के वीर सैनिकों को श्रद्धा-सुमन अर्पित करते हैं जिन्होंने आज से 200 वर्ष पहले युद्ध में अपनी शहादत दी थी। 

मायावती ने कहा कि इस वर्ष इसका विशेष आयोजन था, लेकिन जातिवादी लोगो को दलितों का यह आत्म-सम्मान व स्वाभिमान का प्रयास पसन्द नहीं आया और उन्होंने हिंसा फैलाई और महाराष्ट्र की भाजपा सरकार खामोश तमाशायी बनी रही। अगर राज्य सरकार इस मामले में थोड़ा भी संवेदनशील व किामेदार होती तो यह हिंसा कभी नहीं होती। 

इस घटना में मृतक युवक के परिवार के प्रति गहरा शोक व दुख व्यक्त करते हुए मायावती ने मृतक परिवार की हर संभव मदद के साथ-साथ इस घटना में घायल सभी लोगों को तत्काल सहायता उपलब्ध कराने की मांग की।

उन्होंने कहा कि भीमा कोरेगांव शौर्य भूमि का खासकर दलित समाज में विशेष महत्व है। इसी के मद्देनजर बाबा साहेब डा. भीमराव अंबेडकर एक जनवरी सन 1927 को यहां श्रद्धा-सुमन अर्पित करने आए थे। जिसके बाद से इस स्थल का महत्व और बढ़ गया था।