मायावती के स्मारकों पर मेहरबान हुई योगी सरकार, संवारेगी सूरत

punjabkesari.in Saturday, Dec 30, 2017 - 01:44 PM (IST)

लखनऊः प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बीएसपी अध्यक्ष मायावती द्वारा बनवाए गए तमाम स्मारकों के अच्छे दिन आने वाले हैं। बसपा सरकार में बनाए गए इन स्मारकों को संवारने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मायावती के पुराने प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी है, जिसमें पुराने स्मारकों को संरक्षित रखने का प्रावधान है। भले ही मायावती विपक्ष की नेता हैं, लेकिन कुछ मामले में सत्ता पक्ष उनका व उनकी योजनाओं का समर्थन करता दिख रहा है। 


सूत्रों की मानें तो अगले वर्ष 21 और 22 फरवरी को लखनऊ मे होने वाले इंवेस्टमेंट मीट के लिए सभी पार्कों और मूर्तियों को चमकाने का आदेश दिया गया है। तमाम अधिकारियों को इस बाबत निर्देश भी दे दिए गए हैं कि वह इन मूर्तियों व स्मारकों को चमकाएं। जिससे कि शहर में दुनियाभर से आने वाले निवेशकों पर लखनऊ की अच्छी छवि बने। 

गौरतलतब है कि मायावती ने अखिलेश यादव के शासनकाल में 2012-2017 के बीच कई पत्र लिखे। जिसमें उन्होंने इन स्मारकों को संरक्षित करने की अपील की, लेकिन अखिलेश यादव ने इन अपीलों पर ध्यान नहीं दिया। मायावती ने खुले तौर पर उन्हें धमकी दी थी कि मूर्तियों की अनदेखी का बहुजन समाज उन्हे सबक सिखाएगा। लेकिन अखिलेश सरकार के जाने के बाद आखिरकार योगी सरकार ने मायावती की इस अपील को स्वीकार कर लिया है।

खैर योगी सरकार के इस फैसले को राजनीतिक मायने माना जा रहा है कि इस फैसले के पीछे सियासी वजह है, जिस तरह से गुजरात चुनाव में एनसीपी और बसपा ने मिलकर कांग्रेस को 10 सीटों का नुकसान पहुंचाया, उसके बाद भाजपा दलित वोटरों को लुभाने की कोशिश में जुट गई है। 


योगी सरकार के फैसले के पीछे एक वजह यह भी लगाई जा रही है कि जिस तरह से बसपा ने कांग्रेस को गुजरात में नुकसान पहुंचाया है उसका भाजपा मायावती को तोहफा देना चाहती है।

उल्लेखनीय है कि 2002-2007 के बीच उत्तर प्रदेश में मायावती सरकार ने गुलाबी पत्थरों से स्मारक और मूर्तियों को बनवाने में 45000 करोड़ रुपए खर्च किए थे, जिसको लेकर उनपर तमाम दलों ने जमकर निशाना साधा था। समाजवादी पार्टी, भाजपा सहित तकरीबन हर दल ने इस खर्च को लेकर मायावती पर निशाना साधा था। यहां तक कि एनजीटी ने भी नोएडा में बनाए जा रहे है पार्क पर आपत्ति जताते हुए इसे पर्यावरण मानकों का उल्लंघन करार दिया था।