चंबल को गुलजार कर रहे प्रवासी पक्षी, लाखों ने हसीन वादियों में जमाया डेरा

punjabkesari.in Thursday, Nov 19, 2020 - 04:36 PM (IST)

इटावा: वैश्विक महामारी कोविड-19 से बेपरवाह मीलों लम्बा सफर तय करके आये प्रवासी पक्षियों ने चंबल की हसीन वादियों में अपना डेरा जमाना शुरू कर दिया है। बार हैडेड गीज, ग्रे लेग गीज, पिनटेल, शालवर, स्पाटबिल, ब्रहमनीडक, स्पूनबिल, मर्गेजर, वेडर, गार्गेनी, पेनीकल, पाइड,  एवोसिट, रिवर टर्न, सीगल, प्रेटीन कोल जैसे दुलर्भ प्रजाति के पंक्षियों की मौजूदगी प्रकृति प्रेमियों को गदगद कर रही है ।

एक अनुमान के मुताबिक पूरी की पूरी चंबल मे कम से कम एक लाख के आसपास प्रवासी पक्षी चंबल पहुंच हुए है । चंबल सेंचुरी के डीएफओ दिवाकर श्रीवास्तव ने बताया कि नवंबर से ही पक्षियों के आने की शुरुआत एक अच्छा संकेत है । सेंचुरी में अफगानिस्तान, पाकिस्तान, श्रीलंका तथा म्यांमार से विदेशी पक्षी आ रहे हैं । इनकी उचित देखभाल की व्यवस्था की गई है। ऐसे इंतजाम किए गए हैं कि इन्हें कोई परेशानी न हो ।      

बता दें कि राष्ट्रीय चंबल सेंचुरी की वादियों में विदेशी पक्षियों का करलव गूंज रहा है । 425 किलोमीटर क्षेत्रफल में फैली इस सेंचुरी में प्रवासी पक्षियों के आने का सिलसिला शुरू हो गया है । अब हवासीर (पेलिकन), राजहंस (फ्लेमिंगो), समन (बार हेडेटबूल) जैसे विदेशी पक्षी चार महीने मार्च तक यहीं डेरा जमाए रहेंगे । इन आकर्षक पक्षियों को देखने वालों की तादात भी दिन पर दिन बढ़ती जा रही है। दशकों तक चंबल को डाकूओं की शरणस्थली के तौर पर जाना और पहचाना जाता रहा है लेकिन चंबल में दूरस्थ से आने वाले हजारों प्रवासी पक्षियों ने चंबल की छवि को बदल दिया है ।  दुर्लभ जलचरों के सबसे बड़े संरक्षण स्थल के रूप में अपनी अलग पहचान बनाये चंबल सेंचुरी को इटावा आने वाले पर्यटक देख पाने में कामयाब होगे।

चंबल सेंचुरी से जुड़े बड़े अफसर ऐसा मान करके चल रहे हैं कि तीन राज्यों में फैली चंबल सेंचुरी का महत्व इतना है कि चंबल सेंचुरी में डॉल्फिन, घड़ियाल, मगर और कई प्रजाति के कछुए तो हमेशा रहते ही साथ ही कई ‘माईग्रेटी बर्ड' भी साल भर रह करके चंबल की खूबसूरती को चार चाँद लगाती रहती है। कश्मीर में ये पक्षी ज्यादातर चीन, यूरोप और सेंट्रल एशिया से आते हैं। पक्षियों का कलरव रोमांचित करने के साथ उर्जा देने वाला होता है।

 

Moulshree Tripathi