मंत्री जी को उंचा रसूख रखना पड़ा भारी, सरकार को 25 लाख का नुक्सान

punjabkesari.in Saturday, Jun 03, 2017 - 02:00 PM (IST)

हरदोईः उंचा रसूख इस बार यूपी सरकार पर ही भारी पडा है। यूपी के खादी एवं ग्राम्य उद्योग मंत्री सत्यदेव पचौरी के गनर की हठधर्मिता से सरकार को न सिर्फ 25 लाख रुपए का चूना लगा, बल्कि मरीजों की जान पर आफत बन आई है।  नियम ताक पर रख कर एमआरआई कक्ष में पहुंचे मंत्री के गनर को जब तक खुद की चूक का अहसास हुआ तब तक देर हो गई। मंत्री के गनर की पिस्‍टल फिलहाल एमआरआई मशीन में चिपक गई है। विशेषज्ञ बता रहे हैं कि पिस्‍टल बाहर निकालने में 25 लाख रुपए खर्च होंगे।

मंत्री की तबीयत खराब होने पर हो रही थी MRI 
दरअसल हरदोई में एक कार्यक्रम के दौरान बेहोश खादी ग्रामोद्योग मंत्री सत्यदेव पचौरी को लोहिया संस्थान में भर्ती करवाया गया। यहां जांच में उनका शुगर लेवल और बीपी लो मिला। चिकित्‍सकों ने एमआरआई की सलाह दी। चिकित्‍सकों का दल पचौरी को लेकर एमआरआई रूम तक पहुंचा। सत्‍यदेव पचौरी टेबल पर लेट गए।

MRI रुप में पिस्टल लेकर पहुंचा गनर
तभी मंत्री का गनर बंदूक लेकर वहां जा पहुंचा। हांलाकि रूम के दरवाजे पर ही चेतावनी बोर्ड टंगा है। हिदायत दी गई है कि कोई भी व्‍यक्ति मेटल लेकर भीतर न घुसे। बावजूद इसके गनर ने हिदायत नजरअंदाज किया। जांच के लिए जैसे ही मशीन ऑन की गई, उसमें लगा चुंबक प्रभावी हो गया। पिफर तो गनर की बंदूक उसके छिटक मशीन में जाकर चिपक गई। इसके साथ ही तेज आवाज हुई और मशीन बंद हो गई। इससे मंत्री और डॉक्टर घबरा गए।

चिप्की पिस्टल को निकालने में आएगा 25 लाख का खर्च
विशेषज्ञों के मुताबिक MRI मशीन बनाने में 25 लाख रुपए व्‍यय होंगे। पिस्टल निकालने के लिए मैग्नेटिक फील्ड डिफ्यूज करनी होगी। मशीन के मैग्नेटिक एरिया की क्वैंचिंग करनी पड़ेगी। उसमें भरी 2500 लीटर से अधिक हीलियम गैस निकालकर दोबारा डालनी होगी। इसमें 7 दिन का समय लगेगा।

बिना मशीन मरीजों को होगी दिक्कत
वहीं डॉक्टर्स के मुताबिक एमआरआई मशीन 5 करोड़ रुपए की है। रोजाना 30 मरीजों की जांच होती है। वहीं नए मरीजों की जुलाई तक की वेटिंग दी जा रही है। ऐसे में मशीन खराब होने से मरीजों को जांच के लिए भटकना होगा। एमआरआई की सुविधा सिर्फ केजीएमयू और लोहिया अस्पताल में ही है।

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