नाबालिग पत्नी का पति उसका प्राकृतिक अभिभावक: इलाहाबाद हाईकोर्ट

punjabkesari.in Saturday, Dec 16, 2023 - 05:10 PM (IST)

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नाबालिग विवाहिता की अभिरक्षा के मामले में अपने महत्वपूर्ण आदेश में कहा कि एक नाबालिग जो अपने कल्याण और भावी जीवन के बारे में निर्णय लेने में सक्षम है और स्वेच्छा से वैवाहिक संबंध में प्रवेश कर सकती है, उसे जबरदस्ती किसी निर्णय को मानने के लिए बाध्य करना अनुचित है।

हाईकोर्ट ने मद्रास हाईकोर्ट के आदेश का दिया हवाला
कोर्ट ने मद्रास हाईकोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि हिंदू विवाह अधिनियम और बाल विवाह निरोधक अधिनियम दोनों स्पष्ट रूप से किसी नाबालिग के विवाह को शून्य या शून्यकरणीय घोषित नहीं करते हैं, इसलिए ऐसे बाल विवाह वैध माने जाते हैं, और हिंदू अल्पसंख्यक और संरक्षकता अधिनियम के तहत नाबालिग पत्नी के पति को उसके प्राकृतिक अभिभावक के रूप में मान्यता दी जाती है।

पति ने अपनी नाबालिग पत्नी की कस्टडी के लिए प्रार्थना की
दरअसल नाबालिग के पिता द्वारा 2022 में पुलिस स्टेशन गांधी पार्क, अलीगढ़ में आईपीसी की विभिन्न धाराओं और पोक्सो अधिनियम की धारा 3/4 के तहत दर्ज प्राथमिकी पर विचार करते हुए बाल कल्याण समिति के निर्देश पर पीड़िता को 11 जनवरी 2023 को राजकीय बाल गृह, कानपुर भेज दिया गया। उक्त आदेश के खिलाफ दंपति ने वर्तमान याचिका दाखिल की, जिसमें पति ने अपनी नाबालिग पत्नी की कस्टडी के लिए प्रार्थना की है। इसी याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति विवेक कुमार बिड़ला और न्यायमूर्ति विनोद दिवाकर के खंडपीठ ने नाबालिग पत्नी शिवानी की कस्टडी पति को सौंपने का निर्देश दिया।

जानिए क्या है मामला
गौरतलब है कि 30 सितंबर 2022 को जब लड़की की मां ने 17 वर्षीय लड़की को डांटा तो वह घर छोड़कर चली गई। शिकायतकर्ता (लड़की के पिता) ने उसे ढूंढने का हर संभव प्रयास किया, लेकिन वह नहीं मिली। प्राथमिकी में शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि वह मनीष प्रताप सिंह के साथ भाग गई। अतः नाबालिग के पति पर पोक्सो अधिनियम के तहत भी आरोप दर्ज किया गया, क्योंकि घटना के दिन पीड़िता 16 साल 4 महीने और 14 दिन की थी। अंत में कोर्ट ने याचिका का निस्तारण करते हुए पलपिको अभिरक्षा उसके पति को सौंप दी।

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Ajay kumar