मुजफ्फनगर दंगा: मुलायम की इस रणनीति से एक-दूसरे के खिलाफ दर्ज मुकदमें वापस लेंगे जाट और मुसलमान

punjabkesari.in Monday, Jan 01, 2018 - 04:09 PM (IST)

मुजफ्फनगरः साल 2013 में हुए मुजफ्फनगर दंगे की चर्चा को लेकर मुलायम सिंह यादव से मुस्लिम और जाट समुदाय के प्रतिनिधियों ने मुलाकात की। इस चर्चा के बाद दोनों समुदाय ने रविवार को दंगों में दायर मामलों को वापस लेने का फैसला लिया है।

बता दें कि इन दंगों में कुतबा, कुतबी, पुरबलियां, काकड़ा और हदौली गांव प्रभावित हुए थे, जहां पर हिंसा में कई लोगों की मौत हो गई थी। इस हिंसा में इन पांच गांवों में से 29 केस दर्ज किए गए थे। कुल 1400 लोगों पर विभिन्न-विभिन्न मामलों में केस दर्ज किया गया था। इस समझौते के तहत पांच गावों के 29 मुकदमें वापस लिए जाएंगे। इस दंगे में 63 लोगों की मौत हो गई थी और 50 हजार लोग विस्थापित हो गए थे।

बैठक में शामिल हुए पूर्व सांसद, विधायक 
इस बैठक में तीन पूर्व सांसद अमीर आलम खान, कादिर राना और हरेंद्र मलिक के साथ ही पूर्व विधायक नवाजिश आलम और पूर्व विधायक नवाजिश आलम के अलावा खाप के चौधरी, थांबेदार व अन्य लोग शामिल हुए। इस दौरान सुलह के लिए लोगों से संपर्क करने वाली समिति का विस्तार भी किया गया। कुतबा गांव में हुए दंगे में अपनी मां को खो देने वाले मोहम्मद हसन ने कहा, ‘मैं भी मुलायम सिंह के आवास पर था। विपिन बालियान ने मुझे न्यौता दिया था। कई जाट और मुस्लिम नेता वहां मौजूद थे। मैंने उनके सहमति फॉम्युले पर अपनी सहमति दे दी।’

सुलह कराने की बनाई गई रणनीति 
मुजफ्फरनगर दंगे के दौरान दर्ज कराए गए मामलों में सभी में चार्जशीट कोर्ट में आ चुकी है। अब मुकदमे सुनवाई के लिए कोर्ट में चल रहे हैं। हजारों मुल्जिम दंगे के मामलों में बने हुए हैं। जिस समय दंगे हुए, उस समय प्रदेश में सपा की सरकार थी। उस समय बड़े पैमाने पर दंगे के मामलों में फर्जी नामजदगी कराने के आरोप लगे। अब 4 साल बाद सपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के आवास पर मुजफ्फरनगर के दंगे के मामलों में सुलह कराने की रणनीति बनाई गई थी। सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव और चौधरी अजित सिंह के संरक्षण में एक समिति का गठन किया गया था।