लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल माना जा रहा निकाय चुनाव सभी दलों को दिखाएगा आईना

punjabkesari.in Friday, May 05, 2023 - 09:52 AM (IST)

लखनऊ: यह निकाय चुनाव भाजपा, सपा, बसपा और कांग्रेस सरीखे प्रमुख दलों को आसन्न लोकसभा चुनावों में उनको आइना दिखाएगा। इसीलिए भाजपा समेत सभी दल से लोकसभा चुनाव से पहले सेमीफाइनल मान रहे हैं। सभी दलों ने इस बार महापौर और अध्यक्षों की ज्यादा से ज्यादा सीटों पर परचम फहराने के लिए पूरी ताकत झोंक रखी है। ताकि लोकसभा चुनाव में अपने जनाधार का पैमाने को माप सकें। भाजपा 2017 के मुकाबले इस बार महापौर की सभी सीटों के साथ अध्यक्ष खास तौर जिला मुख्यालय की नगरपालिका अध्यक्षों की सभी सीटों पर कब्जा करने की मंशा से चुनाव मैदान में उतरी है। वहीं सपा भी अधिक सीटें जीतकर अपनी खोई हुई जमीन वापस पाने का संदेश देना चाहती है। लेकिन लोकसभा तक शायद ही सपा और रालोद का गठबंधन टिक सके। इस निकाय चुनाव में दोनों का मनमुटाव सतह पर आ गया है।

सपा के मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगाने में जुटी बसपा
बसपा ने 17 में से 11 महापौर पदों पर मुस्लिम उतार कर लोकसभा चुनाव से पहले सपा के मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश की है। ताकि लोकसभा चुनाव में मुस्लिम उसके साथ खड़ा दिखे। लोकसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस भी पूरे दमखम के साथ चुनाव मैदान में है। इस बार 17 नगर निगम, 199 नगर पालिका परिषद और 544 नगर पंचायतों के लिए चुनाव हो को हटा दिया।



80 लोकसभा सीटों को जीतने का लक्ष्य लेकर चल रही भाजपा पहले से ही तैयारी में जुटी
प्रदेश की सभी 80 लोकसभा सीटों को जीतने का लक्ष्य लेकर चल रही भाजपा ने तो चार साल पहले ही निकाय चुनाव की तैयारी शुरू कर दी थी। 127 नए निकायों का गठन और 111 निकायों का सीमा विस्तार कर सरकार ने शहरों के साथ ही गांवों में भी जनाधार को मजबूत करने की कोशिश की है। इसीलिए महापौर और अध्यक्ष से लेकर पार्षद उम्मीदवार तक के क चयन को लेकर भाजपा ने बेहद सावधानी बरती है। पिछले निकाय चुनाव में 16 महापौर सीटों में से दो सीटें जीतने वाली बसपा भी महापौर की ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतने की जुगत में लगी है। लोकसभा चुनाव से बसपा के पक्ष में माहौल खराब न हो, इसके लिए पार्टी ने कानपुर की के मुख्य जोन इंचार्ज मुनकाद अली को हटा दिया।

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Ajay kumar