इस बार रामलीला है खास, मुस्लिम कलाकार करेंगे रामायण का मंचन और विदेश से पधारेंगे सीता-राम

punjabkesari.in Monday, Sep 11, 2017 - 01:38 PM (IST)

लखनऊः दशहरे के मद्देनजर पूरे देश में रामलीला की तैयारियां जाेराें पर हैं। वैसे ताे रामलीला का भव्य आयाेजन हर बार राम जन्मभूमि अयाेध्या में किया जाता है, लेकिन इस बार इसे यादगार बनाने के लिए विदेशाें से कलाकार आ रहे हैं। यहां इस बार मुस्लिम आबादी वाले देश इंडोनेशिया के मुस्लिम कलाकार पहली बार रामलीला का मंचन करेंगे। यूं कहे तो इस बार राम और सीता देश नहीं बल्कि विदेश से आ रहे है।

अयोध्या की रामलीला होती है खास
बता दें कि इंडोनेशिया में मुस्लिमों के बहुसंख्यक होने के बावजूद यहां रामलीला में बहुत आस्था है। मुस्लिम राम को महान और रामायण को आदर्श ग्रंथ मानते हैं। भारत में ऋषि वाल्मीकि की रामायण, तो इंडोनेशिया में कवि योगेश्वर की लिखी रामायण का मंचन किया जाता है। वहां दशरथ को विश्वरंजन, सीता को सिंता, हनुमान को अनोमान कहा जाता है।

इस बार मुस्लिम करेंगे रामायण का मंचन
इंडोनेशिया में पपेट, शैडो पपेट और बैले 3 तरह की रामलीला होती हैं। इस बार इंडोनेशिया के कलाकार लगभग 13 दुर्लभ यंत्रों के साथ प्रस्तृति देंगे। इसमें 12 कलाकार मुस्लिम हैं, जिनमें 6 पुरुष और 6 महिलाएं हैं। इंडोनेशिया की रामायण की एक खासियत यह भी है कि कलाकार रामलीला की शुरुआत सीता हरण से करते हैं और रावण के वध पर समाप्त कर देते हैं।

विदेशी बनेंगे राम और सीता 
प्रदेश के संस्कृति एवं धार्मिक कार्य विभाग के मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी ने बताया कि रामलीला समिति अयोध्या और लखनऊ में 13 से 15 सितंबर के बीच रामलीला का मंचन करेगी। मंचन करने वाले कलाकार मुस्लिम हैं और वे मांसाहारी नहीं हैं। उन्होंने कहा कि पहली बार राज्य में इस तरह की रामलीला का मंचन हो रहा है, जिसमें विदेशी कलाकार ​हिस्साकवहां के कलाकारों को रामलीला का मंचन करने में कोई दिक्कत नहीं है।

65 देशों में होता है रामलीला का मंचन   
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. मनोज दीक्षित ने कहा कि इससे हमें कई सीख मिलती हैं। रामलीला का इंडोनेशिया से सांस्कृतिक संबंध है। हम चाहते हैं कि राम नगरी होने के कारण अयोध्या में अधिक से अधिक देशों की रामलीला का मंचन हो। दुनिया भर में 65 देश हैं, जहां रामलीला का मंचन होता है।