नगरीय निकाय चुनाव: योगी सरकार की पहली चुनावी परीक्षा
punjabkesari.in Sunday, Oct 29, 2017 - 02:38 PM (IST)
लखनऊ: उत्तर प्रदेश की सभी राजनीतिक पार्टियां अगले महीने होने वाले नगर निकाय चुनाव को बेहद गम्भीरता से ले रही हैं, मगर ये चुनाव खासकर भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का सवाल हैं। पिछले चुनाव में इसी पार्टी ने अन्य दलों पर अपना वर्चस्व कायम किया था और इस बार उसके सामने इसे दोहराने की कड़ी चुनौती है।
जानकारी के अनुसार वर्ष 2012 में हुए नगर निकाय के चुनाव में राज्य में महापौर के 12 में से 10 पदों पर भाजपा ने कब्जा किया था और नगर पालिका परिषदों तथा नगर पंचायतों में भी वह सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। भाजपा इस साल मार्च में प्रचंड बहुमत से सत्ता में आई थी। ऐसे में आगामी नगर निकाय चुनाव प्रदेश की योगी सरकार की पहली चुनावी परीक्षा होंगे। इन चुनाव को लेकर भाजपा की गम्भीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि खुद मुख्यमंत्री योगी द्वारा प्रमुख निकाय क्षेत्रों में रैलियां करने की तैयारी है। इससे पहले शायद ही किसी मुख्यमंत्री ने निकाय चुनावों को इतनी गम्भीरता से लिया है।
भाजपा के प्रान्तीय महामंत्री विजय बहादुर पाठक ने नगर निकाय चुनावों में एक बार फिर भाजपा की जीत का विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि यह सही है कि नगर निगमों और नगर पालिकाओं के पिछले चुनाव में भाजपा का दबदबा रहा है लेकिन ‘एंटी इंकम्बेंसी’ जैसी कोई बात नहीं है। भाजपा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विकास कार्यों के बलबूते निकायों में फिर सरकार बनाएगी।
उन्होंने कहा कि पार्टी का प्रयास है कि योगी के साथ-साथ उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, दिनेश शर्मा और अन्य वरिष्ठ नेता भी निकाय चुनाव प्रचार में उतरें। पार्टी राज्य सरकार की पिछले 6 माह की उपलब्धियों को लेकर जनता के बीच जाएगी। अधिकांश सीटें हम जीत रहे हैं।