स्कूली बच्चों ने PM को खत में लिखी मन की बात, उठाई ये मांग

punjabkesari.in Friday, Oct 28, 2016 - 02:18 PM (IST)

वाराणसी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र के 100 से अधिक स्कूली बच्चों ने उन्हें पत्र लिखकर वाराणसी में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) स्थापित करने की मांग की। वाराणसी में एम्स की स्थापना के लिए लंबे समय से आंदोलन कर रहे काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. ओम शंकर ने भगवानपुर स्थित होली चिल्ड्रेन्स पब्लिक स्कूल में आयोजित बच्चों के एक कार्यक्रम में उन्हें एम्स की महत्ता समझाई। इसके बाद उन्होंने स्कूल के क्रियेटिव निदेशक पियूष वर्धन एवं बच्चों के साथ पत्र लिखकर अपनी मांग दोहराई। 

100 से अधिक बच्चों ने लिखे मोदी को पत्र
वर्धन ने बताया कि 100 से अधिक बच्चों ने एक साथ बैठकर पोस्ट कार्ड पर अपनी-अपनी भाषा में पत्र लिखे। स्कूली बच्चों द्वारा पत्र लिखकर मांग करने का यह सिलसिला एम्स की स्थापना होने की घोषणा तक जारी रहेगा। एम्स की स्थापना की मांग के आंदोलन में जल्दी ही हजारों की संख्या में स्कूली बच्चों समेत आम लोगों के जुड़ने की संभावना व्यक्त करते हुए उन्होंने बताया कि मरेंद्र मोदी तक अपनी मांग पहुंचाने के लिए पूर्वांचल के तमाम स्कूलों में जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। इसके लिए स्कूल प्रबंधक संघ से बीतचीत की जा रही है।

एम्स स्थापना की मांग के लिए आंदोलन
वर्धन ने बताया कि एम्स स्थापना की मांग के आंदोलन के लिए अधिक से अधिक लोगों का समर्थन जुटाने के लिए बच्चों को फेसबुक, ट्वीटर जैसे सोशल मीडिया से प्रचार-प्रसार के तरीके भी बताए गए और जल्दी ही आम लोगों के बीच ऐसा ही अभियान चलाया जाएगा। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. शंकर ने बच्चों को संबोधित करते हुए कहा कि किसी भी व्यक्ति, समाज और राष्ट्र के संपूर्ण विकास के लिए सबसे महत्पूर्ण स्वास्थ और शिक्षा की आवश्यकता होती है। इनमें स्वास्थ सबसे ज्यादा महत्पूर्ण है, क्योंकि स्वस्थ शरीर में ही शिक्षा के लिए स्वस्थ मन का विकास होता है।

काशी पूरी दुनिया में चिकित्सा की जननी
उन्होंने कहा कि हमारे लिए अतिगौरव की बात है कि प्राचीन काल से काशी पूरी दुनिया में चिकित्सा की जननी के रूप में जानी जाती है। विश्व के पहले सर्जन माने जाने वाले महर्षी सुश्रुत एवं भगवन धन्वन्तरी यहीं से जुड़े रहे हैं, लेकिन पूर्वांचल के लोगों के बेहतर उपचार के लिए दिल्ली स्थित एम्स जाना पड़ता है, जिसके लिए उन्हें भारी रकम खर्च करने के साथ खासी परेशानी होती है। गौरतलब है कि डॉ. शंकर पिछले लगभग ढाई वर्षों से एम्स की मांग के लिए तरह-तरह से आंदोलन एवं अभियान चला रहे हैं।

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