देश के जानेमाने चिकित्सकों की राय- कोरोना संक्रमण को काबू करने में प्राकृतिक चिकित्सा और योग क्रिया अहम

punjabkesari.in Sunday, May 09, 2021 - 03:35 PM (IST)

सहारनपुर: उत्तर प्रदेश समेत समूचे देश में कोविड संक्रमण में लगाम कसने के लिये प्राकृतिक चिकित्सा और योग क्रिया अहम योगदान दे सकती है। गुरू राम राय यूनिवर्सिटी (देहरादून) के योग विभाग की अध्यक्ष एवं देव संस्कृति विश्वविद्यालय हरिद्वार में कार्य कर चुकी सुप्रसिद्ध डॉ सरस्वती काला ने रविवार को बताया कि जो लोग आहार एवं दिनचर्या को लेकर संवेदनशील है और प्रतिदिन योग प्राणायाम करते है, उनको कोरोना संक्रमण होने की संभावना अति क्षीण होती है। इस तथ्य को देश के जानेमाने चिकित्सक भी मान रहे है। गहरी श्वांस लेने का अभ्यास, प्राणायाम, स्टीम इनहलेशन कोरोना संक्रमण से रक्षा करने में सक्षम है।       

उन्होंने कहा कि फेफड़ों में से कफ को निकालने के लिए स्टीम इन्हलेशन किया जाए। रोगी को वमन या कुंजर क्रिया द्वारा छाती के बलगम को बाहर निकाला जाना चाहिए जिससे सांस लेने में सुविधा मिलती है। प्रात:काल खाली पेट गुनगुने जल को पीकर वमन कर दे जिससे कफ बाहर निकल आयेगा और रोगी को आराम मिल जाएगा। प्राणायाम पर जोर दिया जाना चाहिये जिससे आक्सीजन लेवल बढ जाता है। प्राय: ऐसा देखा गया है कि कोरोना होने के डर से लोगों की सांस फूलने लगती है।

डॉ काला ने बताया यदि नेचरोपैथी मे रोगी को यदि चेस्ट पैक व गीली पट्टी की लपेट दी जाए तो बुखार कम हो जाता है। उन्होने आश्चर्य व्यक्त किया कि सरकार आर्युवेद और प्राकृतिक चिकित्सा शैली पर जोर देने के बजाय एलौपैथी ट्रीटमेंट को बढावा दे रही है। आखिर नेचर क्योर व अन्य भारतीय पद्धति को उजागर क्यों नही होने दिया जा रहा है।   

उन्होंने कहा कि लोगों को घर के भीतर भी मास्क लगाने की सलाह दी जा रही है जो गलत है। मास्क लगा होने पर अपनी ही छोडी गयी दूषित वायु ( कार्बनडाइऑक्साइड) को दोबारा बार बार अपने ही लंग्स मे दोबारा अन्दर लिया जाने से संक्रमण की संभावना बढेगी और सांस लेने में परेशानी होगी। टाक्सिन बाडी मे वायरस को वातावरण मिलता है वही यह वायरस पनपता है जो लोग अल्कलाइन डाइट लेते हैं, उनको इस कोरोना काल में कोई परेशानी नही हुई । इसलिए हमे अपना आहार में 80 फीसदी क्षारीय तथा 20 प्रतिशत अम्लीय आहार लेना चाहिए ।

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Umakant yadav