राम मंदिर मॉडल को लेकर संतों में नया विवाद, संगमरमर से या तराशे पत्थरों से हो निमार्ण?

punjabkesari.in Tuesday, Jun 02, 2020 - 12:22 PM (IST)

अयोध्या: राममंदिर निमार्ण के लिए जमीन का समतली करण कार्य युद्घ अस्तर पर चल रहा है। परंतु इसी बीच एक नया विवाद पैदा हो गया है। विवाद विश्व हिन्दू परिषद और संतो के बीच बताया जा रहा है। राम मंदिर की ऊंचाई,भव्यता एवं तरासे गए पत्थरों को लेकर विवाद हुआ है।  इस संबंध में राम मंदिर आंदोलन से जुड़े रहे रामचंद्र परमहंस के दिगंबर अखाड़े में अयोध्या के साधु-संतों की एक बैठक की। बैठक में साधु-संतों निर्णय लिया कि श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय की एकीकरण व्यवस्था के वह सब खिलाफ हैं। उन्हें विहिप के राम मंदिर मॉडल पर राम मंदिर का निर्माण स्वीकार नहीं है। उन्होंने मांग की कि राम मंदिर का निर्माण राम जन्मभूमि कार्यशाला में तराशे गए पत्थरों की बजाए संगमरमर के पत्थर से राम मंदिर का निर्माण हो। साथ ही राम मंदिर की पूरी व्यवस्था देशभर के साधु-संतों के हाथ में हो।

राम मंदिर श्रीलंका, करांची से दिखाई दे, उसका निर्माण संभव नहीं
  राम मंदिर के प्रधान पुजारी ने जानकारी देते हुए कहा कि राम मंदिर के विहिप के मॉडल को सिरे से खारिज कर रहे संत अपना निजी स्वार्थ चाहते है। उन्होंने कहा कि यह वह संत हैं, जिन्होंने पूर्व में राम मंदिर निर्माण के लिए इसी विश्व हिंदू परिषद के मॉडल को स्वीकृति दी थी। आज वह व्यक्तिगत कारणों से इसी का विरोध कर रहे हैं। पुजारी ने इस विरोध को वर्चस्व का नाम दिया है। उन्होंने साफ कहा कि ये वही लोग हैं, जिन्होंने ट्रस्ट के अध्यक्ष पद की लालसा से बीते दिनों भी विवाद किया था और उनका भंडाफोड़ मीडिया में भी हुआ था। अब यह राम मंदिर के निर्माण में बाधा उत्पन्न करने के लिए नया षड्यंत्र कर रहे हैं, जिस तरीके की मांग संत कर रहे हैं। वह संभव नहीं ऐसा शिखर जो श्रीलंका, करांची से दिखाई दे, उसका निर्माण संभव नहीं है। नए ढंग से अगर मंदिर निर्माण का कार्य शुरू होता है तो 25 वर्ष तक मंदिर का निर्माण शुरू नहीं हो पाएगा।

मंदिर के स्वरूप को लेकर बदलाव निजी निजी स्वार्थ
महंत कन्हैया दास ने बताया कि 30 वर्षों से संतो ने संकल्प लिया था कि प्रस्तावित राम मंदिर उसी स्थान पर बनाये गर्भ ग्रह वहां बने और इसी मॉडल पर बने प्रयाग राज में विहिप मार्गदर्शक मंडल की बैठक हुई थी। संतों ने एक स्वर में यह मांग उठाई कि मंदिर निर्माण इसी मॉडल पर हो। अब यह लोग मंदिर के स्वरूप को लेकर बदलाव चाहते हैं। यह निजी चाहत है कि मंदिर निर्माण में बाधा उत्पन्न हो यह मुझे स्वीकार नहीं है। मैं चाहता हूं कि उसी पत्थर से विलंब मंदिर निर्माण शुरू हो। रामलला उस मंदिर में विराजमान हों। जो लोग दूसरे पत्थर से मंदिर निर्माण की बात कर रहे हैं, वह मंदिर निर्माण में रोड़ा उत्पन्न करने का काम कर रहे हैं।

 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Edited By

Ramkesh

Recommended News

Related News

static