काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन और आरती की नई लिस्ट जारी, जानिए अब भक्तों को देने होंगे कितने पैसे

punjabkesari.in Sunday, Jun 25, 2023 - 01:35 PM (IST)

 

वाराणसी: सावन माह में भक्तों की भीड़ को देखते हुए वाराणसी के श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन और आरती की नई रेट लिस्ट जारी कर दी है। अब भक्तों को दर्शन करने के लिए 500 सौ रुपए की जगह 750 श्रद्धालुओं को देना होगा। मंदिर प्रशासन ने इस बात की जानकारी दी है। काशी विश्वनाथ की मंगला आरती का टिकट सावन में दो हजार का मिलेगा, वर्तमान में इसकी कीमत पांच सौ रुपए है। अधिमास के कारण इस बार सावन दो माह का होगा और इसमें आठ सोमवार पड़ेंगे। चार जुलाई से सावन माह की शुरुआत होगी। मुख्य कार्यपालक अधिकारी ने बताया कि सुगम दर्शन के लिए श्रद्धालुओं को 750 रुपए और सावन के सोमवार को श्रृंगार के लिए 20 हजार रुपए खर्च करने होंगे।सावन में बाबा विश्वनाथ के दस स्वरूपों के दर्शन होंगे। 

यहां देखें नई लिस्ट:- 


बता दें कि काशी विश्वनाथ मंदिर भगवान शिव को समर्पित एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है। यह प्राचीन शहर बनारस के विश्वनाथ गली में स्थित है। यह हिंदुओं के सबसे पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक है और भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंग मंदिरों में से एक है। यह मंदिर पिछले कई हजारों सालों से पवित्र गंगा नदी के पश्चिमी तट पर स्थित है। मंदिर के मुख्य देवता को श्री विश्वनाथ और विश्वेश्वर के नाम से जाना जाता है, जिसका शाब्दिक अर्थ है ब्रह्मांड के भगवान। ऐसा माना जाता है कि एक बार इस मंदिर के दर्शन करने और पवित्र गंगा में स्नान कर लेने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। वाराणसी को प्राचीन काल में काशी कहा जाता था, और इसलिए इस मंदिर को लोकप्रिय रूप से काशी विश्वनाथ मंदिर कहा जाता है। मंदिर को हिंदू शास्त्रों द्वारा शैव संस्कृति में पूजा का एक केंद्रीय हिस्सा माना जाता है।

इस मंदिर में दर्शन करने के लिए आदि शंकराचार्य, सन्त एकनाथ, गोस्‍वामी तुलसीदास सभी का आगमन हुआ है। यहीं पर सन्त एकनाथजी ने वारकरी सम्प्रदाय का महान ग्रन्थ श्रीएकनाथी भागवत लिखकर पूरा किया और काशीनरेश तथा विद्वतजनों द्वारा उस ग्रन्थ की हाथी पर धूमधाम से शोभायात्रा निकाली गयी। महाशिवरात्रि की मध्य रात्रि में प्रमुख मंदिरों से भव्य शोभा यात्रा ढोल नगाड़े इत्यादि के साथ बाबा विश्वनाथ जी के मंदिर तक जाती है। विश्वनाथ मंदिर को इतिहास में कई मुस्लिम शासकों द्वारा बार बार तोड़ा गया। मुगल शासक औरंगज़ेब इस मंदिर को गिराने वाला अंतिम मुस्लिम शासक था जिसने मंदिर के स्थान पर वर्तमान ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण किया। 

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Ramkesh