अयोध्या मामले में केंद्र सरकार की याचिका से हमें नहीं कोई आपत्तिः इकबाल अंसारी

punjabkesari.in Tuesday, Jan 29, 2019 - 12:54 PM (IST)

अयोध्याः लोकसभा चुनाव के नजदीक आते ही राम मंदिर निर्माण का मुद्दा गर्माने लगा है। वहीं इसी बीच बड़ा कदम उठाते हुए केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। जिस पर मुस्लिम पक्षकार इकबाल अंसारी ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि उन्हें सरकार की इस याचिका से कोई आपत्ति नहीं है। बाबरी मस्जिद के अलावा सरकार जमीन का कोई भी दूसरा हिस्सा लेने को आज़ाद है। हमें सरकार की याचिका पर कोई आपत्ति नहीं है।' फिलहाल वह जमीनें सरकार के कब्जे में है। अंसारी ने आगे कहा कि चुनाव आते ही राम मंदिर निर्माण की सरगर्मियां तेज हो जाती है। आज सरकार विकास और रोजगार पर ध्यान नहीं दे रही है वो सिर्फ मंदिर मस्जिद पर राजनीति कर रही है।

बता दें कि मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि अयोध्या में जो विवादित स्थल पर हिंदू पक्षकारों को जमीन दी गई है, उसे रामजन्मभूमि न्यास को सौंप दिया जाए। सुप्रीम कोर्ट अयोध्या में विवादास्पद राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद स्थल के पास अधिग्रहण की गई 67 एकड़ जमीन को उसके मूल मालिकों ( रामजन्मभूमि न्यास) को लौटाने का आदेश दे। साथ ही मोदी सरकार ने कहा कि बाकी का 2.77 एकड़ भूमि का कुछ हिस्सा भारत सरकार को लौटा दिया जाए। ज्ञात हो कि रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद के आसपास की करीब 70 एकड़ जमीन केंद्र के पास है और इसमें से 2.77 एकड़ की जमीन पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया था। जिस भूमि को लेकर विवाद चल रहा है वो 0.313 एकड़ ही है। सरकार ने कहा कि इस विवादित जमीन को छोड़कर बाकी सारी जमीन भारत सरकार को सौंपी जाए क्योंकि इस जमीन को लेकर कोई विवाद नहीं है।

ऐसे हुआ था जमीन का बंटवारा
30 सितंबर, 2010 को इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने अयोध्या विवाद को लेकर फैसला सुनाते हुए 2.77 एकड़ की विवादित जमीन को 3 हिस्सों में बांट दिया था। जिस जमीन पर राम लला विराजमान हैं उसे हिंदू महासभा, दूसरे हिस्से को निर्मोही अखाड़े और तीसरे हिस्से को सुन्नी वक्फ बोर्ड को दे दिया गया था। इस मामले में जस्टिस सुधीर अग्रवाल, जस्टिस एस यू खान और जस्टिस डी वी शर्मा की बेंच ने तब अपना फैसला सुनाया था और जमीन का बंटवारा किया था।

Ruby