अब इलाहाबाद HC स्टैंडर्ड फर्स्ट लाइन मेडिकल केयर से होगा लैस

punjabkesari.in Friday, Dec 13, 2019 - 09:06 PM (IST)

प्रयागराज: उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कोर्ट परिसर में सुविधा संपन्न बीस बेड के हास्पिटल की मांग में दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई की है। जहां कोर्ट ने परिसर में स्टैंडर्ड फर्स्ट लाइन मेडिकल केयर व्यवस्था करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि फर्स्ट लाइन मेडिकल केयर में स्ट्रेचर,व्हील चेयर, सहित डिस्पेंसरी, लाइफ सेविंग मेडिसिन एवं आक्सीजन के साथ-साथ बेसिक डायग्नोस्टिक टूल्स जैसे ब्लड शुगर, ब्लड प्रेशर, ईसीजी मॉनिटर आदि भी उपलब्ध होनी चाहिए।

बता दें कि हाईकोर्ट ने महानिबंधक को आदेश की प्रति प्रमुख सचिव स्वास्थ्य उत्तर प्रदेश एवं मुख्य चिकित्सा अधीक्षक प्रयागराज को आदेश के अनुपालन के लिए भेजने का आदेश दिया है। यह आदेश जस्टिस विश्वनाथ सोमद्दर तथा जस्टिस नीरज तिवारी की खंडपीठ ने अधिवक्ता ममता सिंह की जनहित याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है। जहां याची का आरोप था कि, बहस के दौरान एक अधिवक्ता अमूल्य रत्न श्रीवास्तव दिल के दौरे से बेहोश हो गए और उन्हें एंबुलेंस तक ले जाने के लिए स्ट्रेचर उपलब्ध नहीं था। वकीलों ने उन्हें स्वयं उठा कर परिसर से बाहर एम्बुलेंस तक पहुंचाया था जिनकी बाद में मौत हो गई थी।

यहां स्ट्रेचर व एम्बुलेंस उपलब्ध नहीं
जनहित याचिका में कहा गया था कि, दिल्ली हाईकोर्ट में सुविधा संपन्न हास्पिटल है। यहां स्ट्रेचर व एम्बुलेंस उपलब्ध नहीं है। हाईकोर्ट प्रशासन ने बताया कि हाईकोर्ट में प्रारंभिक चिकित्सा के लिए डिस्पेंसरी है और दो एंबुलेंस उपलब्ध हैं जिससे अचानक बीमार होने पर निकट के अस्पताल तक पहुंचाया जा सके। कोर्ट ने इसे संतोषजनक नहीं माना और कहा कि, यदि एम्बुलेंस बीमार को लेकर गई हो तो वापस आने तक क्या कोई बीमार नहीं होगा।

एंबुलेंस का फोन नंबर सार्वजनिक स्थानों पर हो प्रदर्शित
कोर्ट ने कहा कि, कम से कम एक ऐसी एंबुलेंस न्यायालय परिसर में होनी चाहिए जो इंसेंटिव केयर सुविधाओं से युक्त हो जिससे किसी भी समय मरीज को निकटतम हास्पिटल तक बिना किसी जोखिम के पहुंचाया जा सके। कोर्ट ने प्रमुख सचिव स्वास्थ्य और सीएमओ प्रयागराज को भी आदेश के पालन का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि, एंबुलेंस का फोन नंबर सार्वजनिक स्थानों पर प्रदर्शित किया जाए। जिससे हर आदमी चिकित्सा सुविधा का लाभ उठा सके। हाईकोर्ट ने प्रदेश के प्रमुख सचिव स्वास्थ्य और सीएमओ प्रयागराज को इस संबंध में उचित कदम उठाने का आदेश दिया है।

 

Ajay kumar