BJP अब सिर्फ अगड़ों की पार्टी नहीं: केशव मौर्य

punjabkesari.in Thursday, Mar 02, 2017 - 02:04 PM (IST)

चन्दौली:भारतीय जनता (भाजपा) के प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौैर्य ने कहा है कि भाजपा सिर्फ अगड़ों की ही पार्टी नहीं बल्कि इसमें अब पिछड़े और दलित भी जुड़ गए हैं। मौर्य ने यहां विशेष भेंट में कहा कि भाजपा पहले अगडों की ही पार्टी मानी जाती थी लेकिन अब इसमें पिछड़े और दलित भी जुड़ गए हैं। उन्होंने दावा किया कि इस बार तो यह दोनों वर्ग भाजपा के पक्ष में झूम कर वोट दे रहे हैं। पिछड़े और दलित समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा)से विमुख हो गए हैं क्योंकि यह दोनों पार्टियां ही अल्पसंख्यकों के तुष्टिकरण की राजनीति करती हैं। इन दोनों को अल्पसंख्यकों में भी केवल एक ही वर्ग दिखाई पड़ता है, इसलिए सपा और बसपा से पिछड़ों तथा दलितों का मोह भंग हुआ।

पिछड़ों और दलितों का मोह सपा से हुआ भंग
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि सपा और बसपा के करीब 15 साल के कार्यकाल में सर्वाधिक नुकसान पिछड़ों और दलितों को ही हुआ है। पिछड़ों को अब पता चल गया हैै कि एक जाति विशेष और एक जिला विशेष के अलावा सपा सरकार ने किसी का भला नहीं किया है। इसलिए, पिछडों का मोह सपा से भंग हुआ जबकि बसपा ने दलितों में भी भेदभाव किया। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा इन दोनों वर्गाे को अब समझ में आ गया है कि सपा और बसपा ने इन्हें छला है, इसलिए अब पिछड़े और दलित उन्हें छोड़कर भाजपा में तेजी से जुड़े हैं और यही कारण है कि भाजपा सरकार बनाने की ओर तेजी से बढ़ रही है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश का मतदाता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के काम करने के तरीके को समझ गया है। आम जनता को बेहतर कानून व्यवस्था और विकास चाहिए, इसमें मोदी जी का नेतृत्व सक्षम है। यहां जो भी सरकार बनेगी किसान, युवाओं के हित के साथ ही कानून व्यवस्था को चुस्त-दुरूस्त रखने को प्राथमिकता देगी।

यादव ने विकास के बजाय विज्ञापन के बल पर लड़ा चुनाव
मौर्य ने स्वीकार किया कि पूर्वांचल में भाजपा की लड़ाई बसपा से है, लेकिन मायावती ने मुख्तार अंसारी और उनके कुनबे को बसपा में शामिल कर इस क्षेत्र के बहुसंख्यकों में अकुलाहट बढ़ा दी है। इसका नुकसान मायावती को उठाना पड़ेगा लेकिन लाभ भाजपा को होगा। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने दावा किया कि पांच चरणों के खत्म हुए चुनाव में अखिलेश यादव और उनकी समाजवादी पार्टी हासिए पर चली गई है क्योंकि यादव ने विकास के बजाय विज्ञापन के बल पर चुनाव लड़ा है। उन्होंने मांग की कि भाजपा और अपना दल के 73 सांसदों द्वारा विकास कार्यों के लिए दी गई चिठ्ठियों पर श्वेत पत्र जारी करें।उनका कहना था कि भाजपा सांसदों की चिठ्ठियों को अखिलेश सरकार के लोग कूड़ेदान में डाल देते थे।

केन्द्र भी राज्य सरकार के जरिए ही करवाता है विकास
मौर्य से जब पूछा गया कि क्या वह भी मुख्यमंत्री की दौड़ में शामिल हैं तो उन्होंने मुस्कराते हुए कहा कि इसका फैेसला पार्टी का विधानमंडल दल और केन्द्रीय संसदीय बोर्ड करेगा। वैसे भी अभी उनका लक्ष्य 300 सीट लाना है। नतीजों के बाद तो मुख्यमंत्री तय ही हो जाएगा। उन्होंनेे कहा कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव विकास के दावे करते हैं लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी में विकास कार्यों में अड़चन पैदा की गई। केन्द्र भी राज्य सरकार के जरिए ही विकास करवाता है। संघीय ढांचे में केन्द्र को पीएम और सीडीओ नियुक्त करने का अधिकार नहीं है और विकास के लिए इन दोनों का सकारात्मक रूख जरूरी है, लेकिन राज्य सरकार के दबाव में वाराणसी के अधिकारियों ने अपेक्षित सहयोग नहीं दिया। राज्य सरकार ने किसान की मौतों पर मुआवजा देने में जाति और धर्म को प्राथमिकता दी।