अब वह दिन दूर नहीं जब UP में मिलेगा ‘पैक्ड’ गन्ना जूस

punjabkesari.in Sunday, Jul 07, 2019 - 01:21 PM (IST)

लखनऊ: देश में सर्वाधिक गन्ना उत्पादन करने वाला उत्तर प्रदेश अब डिब्बाबंद यानी ‘पैक्ड' गन्ना जूस बाजार में उतारने की संभावनाएं तलाश कर रहा है और वह दिन दूर नहीं जब पैक्ड फलों के जूस और पैक्ड लस्सी-छाछ की तरह बाजारों में गन्ने के पैक्ड जूस से दुकानें सजने लगेंगी। गन्ना वैज्ञानिक डॉ. एम एम सिंह ने एक न्यूज एजेंसी को बताया कि पैक्ड गन्ना जूस आम लोगों के बीच खासा लोकप्रिय होगा क्योंकि फिलहाल राजधानी लखनऊ सहित पूरे प्रदेश में गन्ना पेराई की मशीनें लगाकर सड़क के किनारे छोटे वेंडर गन्ने का रस बेचते हैं जो स्वास्थ्य एवं साफ सफाई के लिहाज से खतरनाक होता है।

सिंह ने कहा कि जिस तरह फलों के पैक्ड जूस या डिब्बाबंद दही, लस्सी और छाछ काफी ज्यादा प्रचलन में हैं। उसी तरह पैक्ड गन्ना जूस भी तेजी से बाजार में अपनी जगह बना लेगा। उल्लेखनीय है कि अभी हाल ही में चीनी उद्योग, गन्ना विकास एवं आबकारी विभागों के प्रस्तुतिकरण के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि युवाओं के लिए रोजगार के सृजन के मद्देनजर पैक्ड गन्ना जूस की बाजार में बिक्री की संभावनाओं को तलाश कर योजना बनाई जानी चाहिए उन्होंने इस संबंध में अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिए।

कृषि विज्ञान के अनुसंधानकर्ता शिवमप्रिय शुक्ला ने आंकडों का हवाला देते हुए कहा कि बीते 2 साल में उत्तर प्रदेश महाराष्ट्र को पीछे छोड़कर देश का सर्वाधिक गन्ना एवं चीनी उत्पादक राज्य बन गया है। चीनी उद्योग हर साल किसानों को 33 से 36 हजार करोड़ रूपए गन्ना मूल्य का भुगतान कर रहा है। इस उद्योग के माध्यम से साढे़ 8 लाख लोगों को प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से रोजगार मिला है। शुक्ला ने बताया कि विगत 2 साल में प्रदेश के गन्ना क्षेत्रफल में 37 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। यह क्षेत्रफल 20 . 5 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 27 . 94 लाख हेक्टेयर हो गया है।

उन्होंने कहा कि इतने प्रचुर उत्पादन के बाद अगर योगी सरकार पैक्ड गन्ना जूस बाजार में उतारने का विकल्प तलाश रही है तो इससे बेहतर स्थिति और कोई हो ही नहीं सकती क्योंकि इससे बडे़ पैमाने पर युवाओं को रोजगार के अवसर हासिल होंगे। राजधानी लखनऊ के हृदयस्थल हजरतगंज में डिब्बाबंद जूस की फुटकर दुकान लगाने वाले दुकानदार संजोग रस्तोगी का मानना है कि पैक्ड गन्ना जूस आने से बीमारियों पर काफी हद तक अंकुश लगाया जा सकेगा क्योंकि गन्ने का रस बेचने वाले आम तौर पर जिस बर्फ का इस्तेमाल करते हैं, वह स्वास्थ्य के लिहाज से अच्छी नहीं होती । इसके अलावा गन्ने की साफ सफाई भी ठीक से नहीं की जाती। उसमें मिलाया जाने वाला नमक या पुदीना भी अच्छी क्वालिटी का नहीं होता। दूसरी ओर कैंट रोड पर गन्ने के जूस की दुकान चलाने वाले रियाज का कहना है कि गर्मी के दिनों में गन्ने का जूस बेचना ही उनकी रोजी रोटी का बड़ा सहारा है।

रियाज का दावा है कि वह पूरी कोशिश करते हैं कि साफ सफाई का पूरा ध्यान रखा जाए। वह दुकान पर खडे़ 10-12 ग्राहकों की ओर इशारा कर कहते हैं कि अगर हम क्वालिटी का ध्यान नहीं रखते तो इतने ग्राहक हमारे यहां नहीं खडे़ होते। लखनऊ विश्वविद्यालय में छात्रा गुंजन भदौरिया ने कहा कि पैक्ड उत्पादों की गुणवत्ता को लेकर कभी सवाल नहीं उठे लेकिन जो बात ताजे जूस में होती है, वह पैक्ड जूस में कभी नहीं हो पाती। वह हालांकि मानती हैं कि गन्ने का जूस अपवाद है क्योंकि खुला गन्ने का जूस बीमारियों को निमंत्रण देता है। ऐसे में पैक्ड जूस बाजार में आया तो कहीं बेहतर विकल्प होगा।

Anil Kapoor