अब अखिलेश के ड्रीम प्रोजेक्ट्स पर टेढ़ी हुईं योगी की नजरें, आधिकारियों को दिया ये आदेश

punjabkesari.in Saturday, Apr 01, 2017 - 03:37 PM (IST)

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के लखनऊ में ड्रीम प्रोजेक्ट्स पर अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की नजरें टेढ़ी हो गई है। योगी की सरकार ने अब इन सभी की जांच कराने का फैसला किया है। 


प्रोजेक्ट्स में बड़े घपले की आशंका, मांगी जांच
दरअसल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 3 दिन पहले लखनऊ में गोमती रिवर फ्रंट के कार्य का निरीक्षण किया था और वहां पर वह काफी नाराज दिखे। बता दें कि सिर्फ लखनऊ में 1373.64 करोड़ रुपए की परियोजनाओं पर सपा सरकार के दौरान 1100 करोड़ रुपए से अधिक खर्च किए गए। परियोजनाओं में बड़े पैमाने पर घपले की आशंका के मद्देनजर सरकार ने लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष को जांच के निर्देश दिए गए हैं। उपाध्यक्ष से 3 दिन में जांच कर विस्तृत रिपोर्ट तलब की गई है।  

पूर्व सपा सरकार के कार्यकाल में काम रहे अधूरे
यह भी बता दें कि तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पहल पर लखनऊ के गोमतीनगर में जहां 18.64 एकड़ भूमि पर 864.99 करोड़ रुपए के विश्वस्तरीय सुविधायुक्त जय प्रकाश नारायण अंतरराष्ट्रीय केंद्र को, वहीं 355.60 करोड़ की 376 एकड़ में फैले जनेश्वर मिश्र पार्क, 846.49 एकड़ में 872.58 करोड़ की सीजी सिटी और 153.05 करोड़ रुपए की पुराने लखनऊ में सौन्दर्यीकरण परियोजना को मंजूरी दी गई थी। 

गौर करने की बात है कि लखनऊ विकास प्राधिकरण की देखरेख में चल रही परियोजनाओं के लिए तत्कालीन सपा सरकार के 1100.10 करोड़ दिए जाने के बावजूद कई कार्य अभी अधूरे ही हैं। जल्दबाजी में परियोजनाओं के आधे-अधूरे कार्यों का ही मुख्यमंत्री से लोकार्पण करा दिया गया। ज्यादातर काम जहां समय से पूरे नहीं हुए हैं वहीं कार्यों की गुणवता को लेकर लगातार सवाल उठते रहे हैं। 

योगी ने 3 दिन में दिए रिपोर्ट देने के आदेश
वहीं परियोजनाओं में बड़े पैमाने पर अनियमितताओं की शिकायत पर मौजूदा योगी सरकार ने जांच कराने का फैसला किया है। उच्च स्तरीय निर्देश पर आवास एवं शहरी नियोजन विभाग के विशेष सचिव शिव जनम चौधरी की ओर से कल लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) के उपाध्यक्ष सत्येन्द्र सिंह को पत्र भेजा गया है। इसमें एलडीए उपाध्यक्ष को निर्देश दिए गए हैं कि वह स्थलीय निरीक्षण कर परियोजनाओं की वित्तीय व भौतिक प्रगति की जांच करें। सभी तरह की अनियमितताओं के लिए दोषी संबंधित निर्माण एजेंसी, आर्किटेक्ट फर्म, अधिकारियों-अभियंताओं के ब्योरे के साथ उपाध्यक्ष से 3 दिन में शासन को रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए गए हैं।