सदन में सत्तारुढ़ सौ विधायकों के धरने ने दे दिये थे भाजपा में भगदड़ के संकेत

punjabkesari.in Thursday, Jan 13, 2022 - 08:23 PM (IST)

लखनऊ:  उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से मंत्रियों और विधायकों के इस्तीफे की झड़ी के पीछे सियासी कारणों के साथ निजी कारण भी अहम वहज मानी जा रही है।  चुनाव की दहलीज पर खड़ी भाजपा में भगदड़ के कारणों की समीक्षा से पता चलता है कि सत्तारूढ़ दल के लगभग 100 विधायकों का दिसंबर 2019 में विधानसभा में दिया गया धरना, विधायकों की बात नहीं सुने जाने से उपज रहे असंतोष का पहला सबूत था।  पार्टी के एक विधायक ने बताया कि भाजपा के विधायक नंद किशोर गुर्जर को प्रशासन द्वारा प्रताड़ति किये जाने की बात विधानसभा में उठाने की इजाजत नहीं मिलने पर पार्टी के लगभग सौ विधायक सदन में धरने पर बैठ गये थे। पार्टी के विधायकों में उभर रहे असंतोष का यह पहला संकेत था जिसे पार्टी  नेतृत्व को समझना चाहिये था।   

जनीतिक विश्लेषक एवं वरिष्ठ पत्रकार राजीव श्रीवास्तव ने कहा कि सत्तारूढ़ दल के मंत्रियों और विधायकों में असंतोष के निजी कारण भी हैं। इनमें से तमाम विधायकों को अपने टिकट कटने या उनके अपनों को टिकट नहीं मिलने की चिंता शामिल हैं। मसलन, पडरौना से विधायक और भगदड़ का नेतृत्व कर रहे स्वामी प्रसाद मौर्य अपने बेटे के लिये ऊंचहार से टिकट चाहते थे। मगर, यह मांग पूरी करने का उन्हें भाजपा से कोई आश्वासन नहीं मिला।  मंत्रियों और विधायकों ने इस्तीफों में एकस्वर से दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यकों को उपेक्षित करने का आरोप योगी सरकार एवं भाजपा पर लगाया गया है। 

गौरतलब है कि इस्तीफा देने वाले सभी मंत्री और विधायक पिछड़े वर्ग से आते हैं। स्पष्ट है कि इस्तीफों की मुहिम को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ‘80 बनाम 20 प्रतिशत' की मुहिम को सपा के पक्ष में ‘पिछड़ा बनाम अन्य' में तब्दील करने की कोशिश माना जा रहा है।  राजनीतिक विश्लेषण से जुड़ी अग्रणी संस्था ‘सीएसडीएस' के डा. संजय कुमार ने बताया कि इस भगदड़ से बेशक सपा का फायदा होगा। लेकिन, सपा नेतृत्व को यह भी देखना होगा कि बाहरी नेताओं के आने से पाटर्ी के अंदर उभरने वाले असंतोष को कैसे दूर किया जाये। 

उन्होंने कहा कि भाजपा में भगदड़ की ‘टाइमिंग' से भी साफ है कि इन नेताओं में उपेक्षित होने के कारण असंतोष था। इन लोगों को अपनी भड़ास निकालने के लिये सिफर् माकूल समय का इंतजार था।  भाजपा के एक विधायक ने नाम उजागर न करने की शर्त पर असंतुष्ट नेताओं के गुस्से की वजह के बारे में बताया कि कोरोना की पहली लहर के बाद सरकार द्वारा विधायक निधि पर रोक लगा दी गयी। जो एक साल से अधिक समय तक जारी रही। ऐसे में विधायक अपने क्षेत्र में कोई काम नहीं कर पाये। चुनाव के कुछ महीने पहले जब विधायक निधि जारी हुयी और उसके कुछ समय बाद ही पाटर्ी स्तर पर विधायकों के कामकाज की समीक्षा शुरु हो गयी। ऐसे में विधायक क्षेत्र में काम करा नहीं पाये।   संगठन ने उनकी रिपोटर् नकारात्मक आने का ठीकरा टिकट काटने के रूप में विधायक पर ही फोड़ दिया। यह भी असंतोष की बड़ी वजह बन गयी। इसके अलावा मुख्यमंत्री द्वारा सत्ता की कुंजी पूरी तरह से अपने हाथ में रखना और नौकरशाही द्वारा मंत्रियों एवं विधायकों को बिल्कुल तवज्जो न देना भी इस गुस्से को विस्फोटक बनाने वाला साबित हुआ।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Ramkesh

Recommended News

Related News

static