'वंदे मातरम' का सपोटर्र बना मुस्लिम परिवार, लेकिन समुदाय कर रहा दरकिनार

punjabkesari.in Sunday, Dec 03, 2017 - 01:34 PM (IST)

आगरा: देश में 'वंदे मातरम' पर पहले से ही राजनीति गरमाई हुई है। कोई इसके पक्ष में तो कोई इसके विरोध में खड़ा नजर आता है। इसी तरह आगरा के एक मुस्लिम परिवार को इन दिनों 'वंदे मातरम' गीत के कारण काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। एक तरफ इस मुस्लिम परिवार को 'वंदे मातरम' गीत गाना पसंद है, तो वहीं दूसरी तरफ मुस्लिम समुदाय इसके खिलाफ है और परिवार को दरकिनार कर रहा है।

जानिए, क्या है पूरा मामला?
जानकारी के मुताबिक मामला आगरा जिले के आजमपारा इलाके का है। जहां के निवासी गुलचमन शेरवानी का आरोप है कि उसके बच्चे को स्कूल से इसलिए निकाल दिया गया क्योंकि वे लोग 'वंदे मातरम' गाते थे और तिरंगे रंग के कपड़े पहनते थे। मुस्लिम समुदाय के कई लोगों ने तिरंगे के रंग के कपड़े पहने जाने पर ऐतराज जताया था।

क्या कहना है स्कूल प्रबंधक का?
वहीं स्कूल चलाने वाले असलम खान का कहना है कि शेरवानी की बेटी ने पिछले साल स्कूल में प्रवेश लिया था, लेकिन दूसरे अभिभावकों ने उन पर दबाव बनाया कि उसे स्कूल से निकाला जाए। उन्होंने कहा कि अगर वह ऐसा नहीं करते तो उनके स्कूल के दूसरे बच्चों के अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल से निकाल लेते।

फतवे के खिलाफ गुलचमन ने किया था प्रदर्शन
गौरतलब है कि शेरवानी के खिलाफ 2006 में सुन्नी उलेमा बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना सैयद शाह बदरुद्दीन कादरी ने हैदराबाद में फतवा जारी किया था क्योंकि वह स्कूलों में 'वंदे मातरम' गाता था। इस फतवे के खिलाफ गुलचमन ने प्रदर्शन किया था। साथ ही आगरा सिविल कोर्ट के सामने भारत माता की मूर्ति के नीचे धरना दिया था।

फतवे के बाद भी 'वंदे मातरम' गाना नहीं छोड़ा
उन्होंने बताया कि उनके दोनों बच्चों का जन्म भी 15 अगस्त और 26 जनवरी को हुआ है। इससे उनका देश प्रेम जाहिर होता है। उन्होंने बताया कि उनकी शादी में भी सिर्फ 'वंदे मातरम' हो बजवाया था और लोगों ने उसी पर डांस किया था।