पंचायत चुनाव से पहले NDA का घटा कद! संजय निषाद के बाद राजभर बोले- समझौता करने पर कम सीटें मिलती हैं...गठबंधन से दूर रहेंगे
punjabkesari.in Monday, May 26, 2025 - 06:25 PM (IST)

UP Panchayat Elections: पंचायत चुनाव से पहले यूपी में NDA से सहयोगी दल खुश नहीं नजर आ रहे हैं। पहले संजय निषाद ने किनारा किया था अब सुल्तानपुर में कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने कहा- जो कार्यकर्ता एमएलए या एमपी का चुनाव नहीं लड़ सकता, वो पंचायत चुनाव लड़ता है। हमारी पार्टी गठबंधन की राजनीति से दूरी बनाए रखेगी। समझौते में लड़ने पर कम सीटें मिलती हैं।"
आपको बता दें की सुभासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और भाजपा का सहयोगी दल ओम प्रकाश राजभर हिल्याबाई होलकर की 300वीं जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने सुल्तानपुर पहुंचे थे। जहां उन्होंने साफ कर दिया है कि वह गठबंधन से दूर रहेंगे। उनका कहना है कि समझौता करने पर कम सीटें मिलती हैं, जिससे छोटे नेताओं को मौका नहीं मिल पाता। यही वजह है कि हम हमेशा कोशिश करते हैं कि ज्यादा से ज्यादा अपने नेताओं को चुनाव मैदान में उतारें। हम पहले भी पंचायत चुनाव अकेले लड़े हैं और आगे भी अकेले लड़ेंगे।
संजय निषाद ने भी किया किनारा
उत्तर प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की तैयारी शुरू हो गई है। संभावना जताई जा रही है कि यह चुनाव अगले साल अप्रैल -मई में हो सकती है। इसी बीच खबर आ रही है कि भाजपा के सहयोगी निषाद पार्टी ने आगामी त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव अपने दम पर लड़ने का ऐलान किया है।
खबरों के मुताबिक निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और राज्य के मत्स्य पालन मंत्री संजय कुमार निषाद ने रविवार को एक कार्यक्रम में ऐलान किया है कि आगामी पंचायत चुनाव में बीजेपी के साथ गठबंधन नहीं रहेगा। निषाद पार्टी अपने संगठनात्मक विस्तार के लिए स्वतंत्र रूप से चुनाव मैदान में उतरेगी। मंत्री संजय निषाद ने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि हर गांव, हर वार्ड और हर बूथ पर निषाद पार्टी का झंडा लहराना है। उन्होंने इसे पार्टी के जनाधार को मजबूत करने का सुनहरा अवसर बताया और कहा कि पंचायत चुनावों में सफलता पार्टी को 2027 के विधानसभा चुनाव में निर्णायक भूमिका दिला सकती है।
इन जातियों को SC में शामिल कराने की मांग
निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय निषाद ने कार्यक्रम के दौरान जातिवार जनगणना को लेकर भी सरकार से स्पष्ट नीति की मांग की। इस दौरान उन्होंने कहा कि यह केवल आंकड़ों का विषय नहीं बल्कि हक और प्रतिनिधित्व की लड़ाई है। जब तक मछुआरा समुदाय की सटीक गिनती नहीं होती, तब तक उन्हें योजनाओं में उचित भागीदारी नहीं मिल पाएगा।