OMG: 60 साल से बालू खा रही ये महिला बनी काैतूहल का विषय

punjabkesari.in Wednesday, Dec 11, 2019 - 11:08 AM (IST)

वाराणसी: बच्चों और बड़ों के मिटटी खाने की आदत से हम सब वाकिफ जरूर होंगे लेकिन जब यही आदत जीवन शैली बन जाये तो इसे क्या कहेंगे ? कुछ ऐसे ही इंसान हैं वाराणसी जिले के चोलापुर इलाके में जिन्हें हम अनोखा इंसान कह सकते हैं। इनमे से एक हैं कुष्मावती देवी जो 15 साल के उम्र से निरंतर बालू खा रही हैं । देखिए एक रिपोर्ट
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बता दें कि उम्र के आखिरी पड़ाव पे पहुंची कुष्मावती देवी कौतुहल का विषय इसलिए हैं क्योंकि वो बचपन से बालू का सेवन करती आ रही हैं। आज तक डाक्टर की जरुरत इन्हें नहीं पड़ी। जबकि परिवार के अन्य सदस्य इन्हें मना करते करते हार गए। वहीँं ये सुनकर हैरानी होगी की 15 साल की उम्र से कुष्मावती देवी सफ़ेद बालू खाते आ रही हैं। कुष्मावती देवी की माने तो 15 साल की उम्र में उन्हें पेट की बड़ी समस्या हुई जिसके बाद गांव के एक वैद्य ने उन्हें दूध और बालू खाने की हिदायत दी जिसके बाद से ही कुष्मावती देवी के बालू खाने का सिलसिला नहीं थमा।
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कुष्मावती देवी उम्र के इस पड़ाव में मुर्गी पालन करती हैं
गांव की कुष्मावती देवी बालू को बाकायदा गेहूं की तरह धोकर-सुखाकर घड़े में रखती हैं। बालू से ही इनका नाश्ता और बालू ही इनका भोजन होता है। कुष्मावती देवी 76 साल की उम्र में भी काम करने से नहीं थकती। कुष्मावती देवी उम्र के इस पड़ाव में मुर्गी पालन करती हैं। कुष्मावती देवी के बालू खाने की आदत मायके से लेकर ससुराल तक चर्चा का विषय बना रहा। शादी के बाद जब वो ससुराल गई तो चोरी छुपे वहां बालू खाती थी बाद में लोगों ने उन्हें मना करना ही छोड़ दिया। घर के और गांव के बच्चे उन्हें अक्सर चिढ़ाया करते थे यहीं नहीं उनके बालू खाने की आदत छुड़ाने के लिए उनके धोकर रखे बालू में मिट्टी और कंकड़ मिला दिया करते थे।
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सत्यम सिंह, कुष्मावती देवी के पोता ने बताया कि इन्हें काफी बार मना किया गया लेकिन ये नहीं मानी और इनकी आदत बन गई है। सत्यम ने कहा कि मै अपने बचपन से दादी को बालू खाते देखता आ रहा हूं। इसके साथ ही वो सामान्य भोजन भी करती हैं। सफेद बालू बाहर से खरीद कर लाई जाती है और दादी उसे पानी से धोकर साफ कर सुखाती हैं। तत्पश्चात उसे घड़े में रखकर खाती हैं।
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 ईंट ,बालू या मिटटी खाने की आदत बच्चों में या गर्भवती महिलाओं में ज्यादातर देखने को मिलती हैं पर ये क्षणिक होती हैं लेकिन इन दो मामलो में बिलकुल अलग है क्योंकि ये कई सालों से चला आ रहा है। डॉक्टर्स इसे मेन्टल डिसऑर्डर,आइरन डेफिशिएंसी और पाइका जैसे बीमारी बताते हैं,जो शरीर में आइरन और जिंक की कमी के कारन होता है। ऐसी बीमारियां अक्सर गाँव के लोगों में ज्यादातर देखने को मिलती हैं।


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Ajay kumar

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