आस्थाः मौनी अमावस्या के अवसर पर खुले आसमान के तले लाखों श्रद्धालुओं ने काटी रात

punjabkesari.in Monday, Feb 04, 2019 - 12:27 PM (IST)

प्रयागराजः इसे आस्था की परकाष्ठा ही कहा जायेगा कि मौनी अमावस्या के अवसर पर देवों के बरसाये गये अमृत का रसपान करने की अभिलाषा का साथ गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के पावन संगम में डुबकी लगाने को व्याकुल लाखों स्नानार्थियों ने कुंभ मेला क्षेत्र में खुले आसमान के नीचे रात गुजारी। देश के कोने कोने से प्रयागराज पहुंचे श्रद्धालुओं की भीड़ से रविवार को ही सारा शहर गुलजार हो चुका था। बाहरी जिलों और प्रदेशों से आने वाले वाहनो को शहर के बाहरी छोर पर अस्थायी रूप से बनायी गयी पार्किंग में जगह दी जा रही थी। वहां से संगम क्षेत्र में पहुंचने की जद्दोजहद में लाखो श्रद्धालुओं ने कदमो से गंगा की रेती तक का सफर कई कई घंटो में पूरा किया।

संगम की रेती पर श्रद्धालुओं के सैलाब से सहमे प्रशासन ने रविवार रात 1125 से ही मौनी अमावस्या के स्नान का ऐलान कर दिया था। इसके पीछे उसका मकसद श्रद्धालुओं को संगम क्षेत्र से विदा करने का था। कुंभ प्रशासन को भलीभांति पता था कि यदि स्नानार्थियों का जमावड़ा इसी तरह बढ़ता रहा तो सोमवार की भोर शाही स्नान के समय भीड़ को संभालना नामुमकिन हो जायेगा।

उधर, मौनी अमावस्या और सोमवती अमावस्या के अदभुद योग में स्नान का पुण्य लाभ लेने को बेकरार श्रद्धालु सुरक्षा बलाें को चकमा देते हुये भोर तक इंतजार करते रहे जबकि विदेशी सैलानी और मीडिया ने इस दिलचस्प नजारे को कैमरो में कैद करने के लिये सारी रात कड़ी मशक्कत करते दिखायी पड़े।

कुम्भ अपर मेला अधिकारी दिलीप कुमार त्रिगुनायत ने बताया कि संगम तट पर अधिक भीड़ होने, पीछे से और अधिक आने वाली भीड़ को नियंत्रित करना ही इसका मुख्य उद्देश्य है। संगम नोज की भीड़ छंटने के साथ जिग-जैग में फंसे श्रद्धालुओं को आगे बढ़ने का मौका दे दिया जायेगा। इस तरह नोज पर भीड़ को नियंत्रित किया जा सकेगा। अधिक भीड़ बढने पर किसी प्रकार की भी अनहोनी होने की आशंका बढ़ सकती है। हालांकि मेला प्रशासन किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार है।

Tamanna Bhardwaj