पत्रकार पवन जायसवाल के समर्थन में उतरे विपक्षी दल और स्थानीय पत्रकार

punjabkesari.in Wednesday, Sep 04, 2019 - 09:54 AM (IST)

लखनऊ/मिर्जापुर: उत्तर प्रदेश के एक स्कूल में छात्रों को मध्याह्न भोजन में नमक-रोटी परोसे जाने की खबर का खुलासा करने वाले एक पत्रकार के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज किये जाने को लेकर स्थानीय पत्रकार और प्रदेश के विपक्षी दल उसके समर्थन में उतर आए हैं। वहीं, मामले के तूल पकड़ने पर मंगलवार को प्रदेश सरकार ने कहा कि एफआईआर की 'विवेचना' की जायेगी ।

खबर में कुछ भी बनावटी नहीं: पवन जायसवाल 
इस बीच, मामले में आरोपी पत्रकार पवन कुमार जायसवाल ने खुद पर लगे आरोपों को गलत बताते हुए कहा कि खबर में कुछ भी बनावटी नहीं है और उन पर मामला दर्ज किया जाना ‘पत्रकारिता पर हमला' है।

भ्रष्टाचार उजागर करने पर पत्रकार पर कार्रवाई नहीं होनी चाहिये-बेसिक शिक्षा मंत्री
उधर, प्रदेश के बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी ने कहा कि सिर्फ कोई भ्रष्टाचार या तथ्य उजागर करने के कारण पत्रकार पर कार्रवाई नहीं होनी चाहिये। अगर ऐसा हुआ होगा तो वह इस मामले को देखेंगे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई मंत्रिमंडल की बैठक के बाद संवाददाताओं से बातचीत में उत्तर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री और सरकार के प्रवक्ता श्रीकांत शर्मा ने कहा, ''पूरे प्रकरण में जो लोग दोषी पाये गये हैं, प्रथम दृष्टया उनके खिलाफ कार्रवाई की गयी है । जहां तक एफआईआर की बात है उसकी हम विवेचना कर रहे हैं।'' 

क्या है मामला?
गौरतलब है कि प्रदेश के मिर्जापुर में हाल में एक प्राथमिक स्कूल में मध्याह्न भोजन योजना के तहत बच्चों को नमक-रोटी खिलाये जाने की खबर छापने वाले पत्रकार और ग्राम प्रधान के प्रतिनिधि समेत कई लोगों के खिलाफ सरकार की छवि खराब करने के 'कुत्सित प्रयास' के आरोप में मामला दर्ज किया गया है। 

पवन जायसवाल पर मुकदमा स्वतंत्र एवं निडर पत्रकारिता पर प्रहार: समाजवादी पार्टी 
इस बीच, प्रदेश की मुख्य विपक्षी समाजवादी पार्टी ने स्कूल प्रशासन की गड़बड़ी उजागर करने वाले पत्रकार पर मामला दर्ज किये जाने का विरोध करते हुए प्राथमिकी रद्द किये जाने की मांग की है। पार्टी ने ट्वीट कर कहा ''मिर्जापुर में बच्चों के निवाले छीनने वालों का काला सच उजागर करने वाले पत्रकार पवन जायसवाल पर मुकदमा स्वतंत्र एवं निडर पत्रकारिता पर प्रहार है। सत्ता का अहंकार भरा ये कदम भ्रष्टाचार के संकल्प को सिद्ध करता है। समाजवादी पार्टी मांग करती है कि मुकदमा रद्द किया जाए।''

स्थानीय पत्रकारों ने जिला कलेक्ट्रेट कार्यालय के समक्ष दिया धरना 
उधर, पत्रकार के विरूद्ध दर्ज प्राथमिकी के विरोध में मिर्जापुर में स्थानीय पत्रकारों ने मंगलवार को जिला कलेक्ट्रेट कार्यालय के समक्ष धरना प्रदर्शन किया और एफआईआर वापस लेने की मांग की। 25 स्थानीय पत्रकारों का एक प्रतिनिधिमंडल विंध्याचल मंडल के आयुक्त आनंद कुमार से मिला और पत्रकार के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी वापस लेने की मांग की। 

मिर्जापुर प्रेस क्लब के सचिव अजय शंकर गुप्ता ने बताया, '' हम चाहते हैं कि पूरे प्रकरण की जांच की जाये । आयुक्त कुमार ने आश्वासन दिया कि वह इस मामले की रिपोर्ट जिलाधिकारी से मांगेंगे।'' पुलिस विभाग के एक वरिष्ठ अफसर ने सोमवार को बताया था कि एक हिन्दी दैनिक अखबार के स्थानीय पत्रकार पवन कुमार जायसवाल, सिऊर गांव के प्रधान के प्रतिनिधि राजकुमार पाल तथा अन्य अज्ञात लोगों के खिलाफ साजिश रचने, सरकारी काम में बाधा डालने, झूठी बातों को तथ्य के तौर पर पेश करने और धोखाधड़ी कर सरकार की छवि खराब करने के 'कुत्सित प्रयास' के आरोप में अहिरौरा थाने में मामला दर्ज किया गया है। 

यह मामला गत 31 अगस्त को खण्ड शिक्षा पदाधिकारी प्रेम शंकर राम की तहरीर पर दर्ज किया गया था। प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है कि पत्रकार पवन ने सोची-समझी साजिश के तहत स्कूल में वीडियो तैयार किया ताकि सरकार को बदनाम किया जा सके। इस बीच, राज्य के बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी ने कहा ''अभी जानकारी लेता हूं...देखता हूं असली मामला क्या है। मुझे लगता है कि केवल कोई भ्रष्टाचार या तथ्य उजागर करने के कारण कार्रवाई नहीं होनी चाहिये। अगर ऐसा हुआ होगा तो मैं इस मामले को देखूंगा।'' 

उन्होंने कहा ''यह पुलिस विभाग का मामला है। सीधे हमारे विभाग से जुड़ा नहीं है लेकिन जो घटना घटी थी, जिस पर हम लोगों ने कार्रवाई की थी, उसका पत्रकार के खिलाफ कार्रवाई से कितना सम्बन्ध है इस पर हम एक बार पुलिस अधीक्षक से बात करेंगे।'' इधर, आरोपी पत्रकार जायसवाल ने इस मामले में अपना पक्ष रखते हुए कहा कि वह दिल्ली के एक अखबार में संवाददाता हैं। उन्हें स्कूल में मध्याह्न भोजन वितरण में कई खामियों की सूचना मिली थी। यह भी पता चला था कि स्कूल में बच्चों को कभी-कभी नमक-रोटी और नमक-चावल भी दिये जाते हैं। 

बेसिक शिक्षा अधिकारी बृजेश कुमार सिंह को हमने दी थी मामले की जानकारी-पवन 
पवन ने बताया ''गत 22 अगस्त को मुझे किसी ने फोन करके बुलाया तो मैं वहां खबर के मकसद से पहुंचा और अपर बेसिक शिक्षा अधिकारी बृजेश कुमार सिंह को इस बारे में जानकारी देते हुए खुद के स्कूल जाने की बात बतायी। मैंने वीडियो बनाने के बाद अपने साथियों को इस बारे में बताया, जिन्होंने जिलाधिकारी को घटना से अवगत कराया।'' उन्होंने कहा, ‘‘जिलाधिकारी ने खबर प्रसारित होने से पहले मामले की जांच करायी और कई कर्मियों को निलम्बित भी किया। बाद में मामला हाई प्रोफाइल हो गया और खुद को बचाने के लिये मुझ पर कई मामले दर्ज करा दिये गये। यह पत्रकारिता पर हमला है। आप खबर देखकर खुद ही जांच सकते हैं। उसमें कुछ भी बनावटी नहीं है। मैंने अधिकारियों को सबकुछ बताया था।'' 

जिलाधिकारी अनुराग पटेल ने दिया अजीबोगरीब बयान
इसबीच, जिलाधिकारी अनुराग पटेल ने वजीबोगरीब बयान देते हुए पत्रकारों से कहा कि आप प्रिंट मीडिया के पत्रकार हैं, आप फोटो खींच लेते। आपको जो गलत लग रहा है, उस बारे में छाप सकते थे लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया इसलिये उनकी भूमिका संदिग्ध लगी और लगा कि आईपीसी की धारा 120 बी के तहत साजिश में शामिल हैं और उनके विरूद्ध मामला दर्ज किया गया है । गौरतलब है कि गत 22 अगस्त को मिर्जापुर के जमालपुर विकास खण्ड स्थित सिऊर प्राथमिक विद्यालय की इस घटना का वीडियो वायरल होने के बाद जिला प्रशासन ने इसकी जांच करायी थी और प्रथम दृष्ट्या दोषी पाये जाने पर दो शिक्षकों मुरारी और अरविंद कुमार त्रिपाठी को निलम्बित किया था। मिर्जापुर के प्राथमिक स्कूल की इस घटना से प्रदेश सरकार की आलोचना हुई थी। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा था कि मिर्जापुर के स्कूल में मध्याह्न भोजन योजना के तहत रोटी और नमक दिया जा रहा है। भाजपा सरकार के जमाने में प्रदेश का यह हाल है।

Ajay kumar