अतिक्रमण कर बने धार्मिक स्थलों को हटाने का आदेश स्वागत योग्य

punjabkesari.in Saturday, Feb 24, 2018 - 06:11 PM (IST)

इलाहाबादः इलाहाबाद उच्च न्यायालय के अतिक्रमण कर बने धार्मिक स्थलों को हटाने के आदेश का स्वागत करते हुए हिंदू और मुस्लिम धर्माचार्यों ने कहा है कि न्यायालय के निर्देशों का ईमानादारी से पालन किया जाना चाहिए। अखिल भारतीय संयुक्त धर्माचार्य मंच के महामंत्री महन्त ब्रह्मर्षि आचार्य कुशमुनि स्वरूप ने कहा कि उच्च न्यायालय का आदेश स्वागत योग्य है और इसका पालन ईमानदारी से किया जाना चाहिए। 

उन्होंने कहा कि अतिक्रमण कर निर्माण से यदि लोगों को तकलीफ होती है तो उसे तत्काल स्वयं हटा देना चाहिए। बेहतर होता कि इस मामले में न्यायालय को हस्तक्षेप नहीं करना पड़ता। स्वविवेक से भी अमल किया जाना चाहिए था। न्यायालय अंतिम दरवाजा होता है। आचार्य ने कहा कि न्याय एक बराबर होता है। वह हिन्दू, मुस्लिम, सिख और ईसाई कुछ नहीं देखता। वह देखता है उसकी चौखट पर न्याय के लिए एक इंसान आया है और उसे न्याय मिलना चाहिए। न्यायालय इसी को परिभाषित करता है। 

उन्होंने कहा कि आवागमन में आम जनता को बाधा पहुंचाने में जिस भी संप्रदाय का धार्मिक स्थल आता हो उसे मानवीय पहलू मानकर हटाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि उच्च न्यायालय के इस आदेश का पालन ईमानदारी और कड़ाई से किया जाए तो इसके सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे। उन्होंने कहा कि हमें एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप न कर सच्चाई को स्वीकार करने का साहस होना चाहिए। हिन्दू का मन्दिर, मुसलमान का मस्जिद या फिर अन्य संप्रदाय का धार्मिक स्थल यदि अतिक्रमण कर आवागमन के रास्ते में अवरोध पैदा करता है तो उसे हटाकर अन्यत्र व्यवस्था करने में कोई गुरेज नहीं है।