पाकिस्तान को उकसाने वाले बयान से परहेज करना चाहिए: शंकराचार्य

punjabkesari.in Tuesday, Feb 28, 2017 - 08:22 AM (IST)

मथुरा:जम्मू-कश्मीर को लेकर पाकिस्तानी राष्ट्रपति के बयान की भत्र्सना करते हुए गोवर्धन पीठाधीश्वर शंकराचार्य अधोक्शजानंद देव तीर्थ महराज ने कहा कि पिछले 2 युद्धों में मिली करारी शिकस्त से सबक लेते हुए पड़ोसी देश को भारत को उकसाने वाले बयानों से परहेज करना चाहिए। शंकराचार्य अधोक्शजानंद तीर्थ ने यहां पत्रकारों से कहा कि लगता है कि पाकिस्तान ने 1965 और 1971 की लड़ाई से कोई सबक नहीं लिया है। पड़ोसी देश 1971 की लड़ाई को भूल चुका है जब पाकिस्तान के 2 टुकड़े कर दिए गए थे। ऐसा लगता है कि पाकिस्तान भारत को लड़ाई के लिए उकसाकर एक बार फिर बचे-खुचे पाकिस्तान के 2 टुकड़े कराना चाहता है।

उन्होंने कहा कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और उसकी समस्या भारत की अपनी समस्या है तथा किसी भी दूसरे देश को उस पर बोलने का कोई अधिकार नहीं है। पाकिस्तान के राष्ट्रपति ममनून हुसैन ने यह कहकर कि ‘भारत कश्मीर से हटे वर्ना होंगे बर्बादी के हालात’ कहकर मर्यादा लांघने की कोशिश की है। उसे अपने देश को देखना चाहिए जहां आतंकवादी हमले से निर्दोष मारे जा रहे हैं और बेरोजगारी समेत तमाम समस्याएं मुंह बाए खड़ी हैं।

शंकराचार्य ने कहा कि पाकिस्तानी हुक्मरान जब घरेलू जनसमस्याएं हल करने में विफल होते हैं तो वहां की जनता का ध्यान बंटाने के लिए वे भारत विरोधी राग अलापने लगते हैं। ऐसा लगता है कि पाकिस्तान के राष्ट्रपति ने उसी नुस्खे को पुन: अपनाया है। संत ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से अपील की कि वह कश्मीर के लोगों की समस्या के लिए एक उच्च स्तरीय कमेटी बनाएं जिसमें कुछ लोग कश्मीर के भी हों। वह कमेटी वहां की समस्याओं को जानकर फिर उनके निराकरण के उपाय सरकार को बताए। शंकराचार्य ने कहा कि जो लोग पत्थर फैंकने को मजबूर हुए हैं, हो सकता है कि स्थानीय प्रशासन उनकी स्थानीय समस्याओं की उपेक्षा कर रहा हो, जिसके कारण वे पत्थर फैंकने को मजबूर हुए हों।