सपा के आगरा अधिवेशन में तय होगी पार्टी की अगली रणनीति

punjabkesari.in Sunday, Oct 01, 2017 - 06:06 PM (IST)

लखनऊ: सपा के आगरा में होने वाले राष्ट्रीय अधिवेशन में तय होगा कि पार्टी पारिवारिक रार से उभरकर अपनी मुख्य विरोधी भाजपा को चुनौती देने के लिए खुद को किस प्रकार तैयार करेगी। सपा का राष्ट्रीय अधिवेशन आगामी 4-5 अक्टूबर को आगरा में होगा। इस अधिवेशन में सभी की निगाहें इस बात पर लगी है कि सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव इसमें शामिल होंगे या नही। अधिवेशन तय करेगा कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव का वास्तविक विरोधी कौन है, उनके पिता जिन्हें उन्होंने पार्टी के अध्यक्ष पद से हटाया था, उनके चाचा शिवपाल सिंह यादव या फिर वे जिन्होंने आगरा सम्मेलन से दूरी बनाई है।

अखिलेश यादव ने गत शुक्रवार को अपने पिता मुलायम सिंह यादव से मुलाकात कर उन्हे आगरा में होने वाले राष्ट्रीय अधिवेशन में भाग लेने का निमंत्रण दिया था। गत एक जनवरी को मुलायम सिंह यादव को पार्टी के अध्यक्ष पद से हटाए जाने के बाद से सपा परिवार में रार जारी है। पार्टी ने इसका निमंत्रण सपा के इटावा से विधायक और अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल यादव को नहीं भेजा है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव वर्ष 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर चिन्तित है। उन्हें विश्वास है कि पार्टी पारिवारिक विवाद से उभरकर आगे बढ़ेगी। पारिवारिक रार के चलते पार्टी की छवि खराब हुई और लोगों में गलत संदेश गया। वर्ष 2017 हुए विधानसभा चुनाव में पार्टी को भारी नुकसान हुआ था। पार्टी 403 विधानसभा सीटों में से केवल 47 सीटों पर जीत दर्ज कर पाई थी।

सपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा है कि परिवार में गतिरोध समाप्त करने की जिम्मेदारी पार्टी मुखिया अखिलेश यादव पर है। यह जिम्मेदारी मुलायम या उनके छोटे भाई शिवपाल की नहीं है। मुलायम सिंह यादव और शिवपाल यादव पार्टी के भविष्य नहीं हैं लेकिन सपा में उनकी निष्क्रियता या उनकी एक नई पार्टी के चलते सपा को नुकसान हो सकता है। उन्होंने कहा कि अखिलेख यादव पार्टी के भविष्य हैं। गतिरोध समाप्त करने के लिए उन्हे विवेक से काम लेना होगा।

मुलायम सिंह यादव गत एक जनवरी को अपने बेटे द्वारा अपमानित किए जाने को भूल नहीं पा रहे हैं। सपा अध्यक्ष बनने के बाद अखिलेश यादव ने कहा था कि तीन महीनोंं के लिए इसे सम्भाल रहा हूं। चुनाव जीतने के बाद मुलायम सिंह यादव को फिर से अध्यक्ष बनाया जाएगा। अखिलेश यादव को बार- बार इस वायदे को निभाने की याद दिलाई जाती रही है।