निर्भया कांड: पवन जल्लाद ने तोड़ा अपने दादा का रिकॉर्ड, 4 दोषियों को दी एक साथ फांसी

punjabkesari.in Friday, Mar 20, 2020 - 11:27 AM (IST)

मेरठ: देश में बहुचर्चित केस निर्भया के चारों दोषियों को काफी लंबे समय के बाद शुक्रवार सुबह 5.30 बजे तिहाड़ जेल में फांसी पर लटका दिया गया। ऐसे में फांसी देने वाले मेरठ के पवन जल्लाद ने अपने दादा कालूराम का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। दरअसल, कालूराम ने एक साथ 2 ही दोषियों को फांसी दी थी। वहीं अब पवन ने एक साथ चार दोषियों को फांसी पर चढ़ा दिया है।

परदादा अंग्रेजी हुकूमत के समय परिवार से पहले जल्लाद बने
बता दें कि उत्तर प्रदेश के जनपद मेरठ के रहने वाले पवन जल्लाद की चार पीढ़ियां फांसी देती आ रही हैं। पवन के परदादा लक्ष्मण राम अंग्रेजी हुकूमत के समय परिवार से पहले जल्लाद बने। इसके बाद लक्ष्मण राम के बेटे और पवन के दादा कालू राम ने जिम्मेदारी संभाली। दिल्ली के जीसस मेरी कॉलेज की स्टूडेंट्स गीता चोपड़ा और उनके भाई संजय चोपड़ा की हत्या करने वाले कुख्यात अपराधी रंगा-बिल्ला को कालूराम ने एक साथ फांसी पर लटकाया था। यह पहली बार था जब दो लोगों को एक साथ फांसी दी गई थी। इसके बाद कालूराम ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या करने वाले सतवंत सिंह और षड्यंत्र रचने वाले केहर सिंह को भी फांसी पर चढ़ाया।

दादा कालूराम ने पोते पवन को जल्लाद के लिए किया तैयार
जिसके बाद कालूराम ने यह काम बेटे मम्मू सिंह को सौंप दिया। मम्मू ने आखिरी बार साल 1997 में जबलपुर के कांता प्रसाद तिवारी को फांसी दी थी। इसके बाद उनकी मौत हो गई। मम्मू की मौत से पहले ही दादा कालूराम ने अपने पोते पवन को जल्लाद के लिए तैयार कर लिया था।

1988 में पहली बार दादा के साथ पहुंचे आगरा जेल
पवन जल्लाद बतातें हैं कि फांसी देने की कला उन्होंने अपने दादा से सीखी है। उनके साथ वह पहली बार 1988 में आगरा जेल गए थे। उस समय दादा कालूराम ने रेप के दोषी जुम्मन को फांसी पर चढ़ाया था। जिसके बाद फांसी देने के सारे तरीकों को अपने दिमाग में बैठा लिया।

Ajay kumar