पृथक-वास केंद्रों में मनोरोगी हो रहे लोगों की मदद के लिए शुरू हुई परामर्श की पहल

punjabkesari.in Wednesday, Apr 29, 2020 - 06:24 PM (IST)

बलरामपुर: कोरोना वायरस की महामारी के कारण घोषित लॉकडाउन में उद्योग धंधे चौपट होने से कामगारों की जा रही नौकरी और ठप होते कारोबार के कारण उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले में हजारों लोग मानसिक रूप से बीमार हो रहे हैं।स्वास्थ्य विभाग की तरफ से ऐसे 3000 लोगों की सूची उपलब्ध कराई गई है । अखिल भारतीय नैदानिक मनोवैज्ञानिक संघ ने पहल करते हुए इन लोगों के इलाज के लिए मोबाइल फोन, टेक्स्ट मैसेज, व्हाट्सएप और ईमेल आदि के जरिए परामर्श सेवा शुरू की है।

बलरामपुर जिले के उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी और मानसिक रोग विभाग के नोडल अधिकारी डॉक्टर बी.पी. सिंह ने बुधवार को बताया कि लॉकडाउन का समय बढ़ने के साथ साथ जिले में मनोरोगियों की संख्या में इजाफा हुआ है। कुछ लोग अपने परिवार के साथ वक्त बिता रहे हैं या फिर घर में पृथक-वास में हैं। इसके अलावा बड़ी संख्या में लोगों को पृथक-वास केंद्रों में रखा गया है।उन्होंने कहा कि पृथक-वास केंद्रों में रखे गए लोग अपने परिवार से दूर हैं जिसका उनकी मानसिक स्थिति पर बुरा असर पड़ रहा है। इसके अलावा इन केंद्रों में बड़ी संख्या में कामगार और मजदूर लोग भी रखे गए हैं। लॉकडाउन के कारण उद्योग धंधे बंद हो गए हैं, लिहाजा वे अपनी नौकरी छूटने और अपने भविष्य को लेकर तरह-तरह की आशंकाओं से घिरे हुए हैं। इससे इन लोगों पर मानसिक दबाव काफी बढ़ रहा है। ऐसे लोगों में वे लोग भी शामिल हैं जो लॉकडाउन में अपने घरों में बंद हैं या फिर घरों में पृथक-वास में हैं।

सिंह ने बताया कि ऐसे में जिला मेमोरियल चिकित्सालय के मानसिक स्वास्थ्य केन्द्र में मनोवैज्ञानिक सहायता टीम लोगों की टेली-काउंसलिंग करने में जुटी है। इन लोगों के इलाज के लिए मोबाइल फोन, टेक्स्ट मैसेज, व्हाट्सएप और ईमेल आदि के जरिए परामर्श दिया जा रहा है। मनोचिकित्सक डॉक्टर अशोक पटेल ने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की सलाह पर जिले में 13 चिकित्सकों की एक टीम भी बनाई गई है जो जिले के मानसिक स्वास्थ्य केन्द्र और पृथक-वास केंद्रों में सुबह आठ बजे से अपराह्न दो बजे तक लोगों की काउंसलिंग कर रही है। पटेल ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग की ओर से टीम को तीन हजार लोगों की सूची उपलब्ध कराई गई है जिन्हें परामर्श दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि 16 अप्रैल से अब तक करीब 700 लोगों को कॉल की गई है जिनमें से 541 लोगों की सफल काउंसलिंग की गई है।

जिलाधिकारी के. करुणेश ने बताया कि विदेश और दूसरे प्रदेशों से जिले में आए करीब 24 हजार लोगों को पृथक किया गया है। ये लोग अवासाद का शिकार न होने पाएं और उन्हें सही जानकारी के साथ उचित सलाह मिलती रहे, इसीलिए मनोचिकित्सकों की टीम को लगाया गया है।उन्होंने कहा कि कोविड-19 के संक्रमण का फैलाव रोकने के लिए बनाए गए पृथक-वास केंद्रों में लोग मानसिक रूप से बीमार होकर भाग रहे हैं और कुछ जगहों पर आत्महत्या की भी खबरें मिली हैं। इन घटनाओं की पुनरावृत्ति न होने पाए, इसलिए बलरामपुर जिले में मनोचिकित्सकों का सहारा लिया जा रहा है।

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Ramkesh