चाइनीज सामानों ने छीनी कुम्हारों की रोजी, मिट्टी की जगह प्लास्टिक दियों को मिल रही तवज्जो
punjabkesari.in Saturday, Nov 03, 2018 - 03:14 PM (IST)
गोंडाः दीवाली का पर्व आते ही कम्हारों में खुशी की लहर दौड़ने लगती है। कुम्हार परिवार सहित दिन रात एक कर मिट्टी के दीये व बर्तन बनाते हैं। लेकिन आज कल दीवाली पर लोग प्लास्टिक के झालर व दियों को ज्यादा तवज्जो देने लगे हैं। जिसके चलते कुम्हारों की आय पर इसका असर देखने को मिला है।
आधुनिकता के इस दौर में कुम्हारों के ऊपर संकट के बादल मंडराते नजर आ रहे हैं और इन संकट के बादलों का जो मुख्य कारण है वह है देश में बढ़ रहे चाइनीज उपकरण। जिससे इन कुम्हारों की जिंदगी बद से बदतर होती जा रही है। वर्तमान समय में चाइनीज सामानों की मांग देश में बढ़ गई है। जिससे कुम्हारों द्वारा बनाए जा रहे मिट्टी के दिये, मटका, गगरी जैसे बर्तनों की खपत बहुत ही कम हो गई है।
बता दें कि हफ्तों की कड़ी मेहनत के बाद मिट्टी के दीपक तैयार हो पाते है। कुम्हार दिये बनाने के लिए पहले तालाब से मिट्टी लाते हैं। फिर मिट्टी को साफ कर उसमें से ककंर, पत्थर निकाले जाते हैं। इसके बाद मिट्टी को घंटों तक गूंधा जाता है। इसके बाद कुम्हार मिट्टी को चाक की मदद से आकार देता है। आकार देने के बाद इन मिट्टी के बर्तनों को आग में 24 घंटों तक पकाया जाता है। तब कही जाकर मिट्टी के दीये और दीपक तैयार होते हैं, लेकिन इस समय इनकी सारी मेहनत पर चाइना के सामानों ने पानी फेर दिया है।
इस पर कुम्हारों का कहना है कि पहले दीपावली पर उनका सामान बेहद बिकता था, लेकिन अब प्लास्टिक के सामान ने मिट्टी के दियों और बर्तनों की जगह ले ली है। जिसके चलते उनकी आमदनी में गिरावत आई है। वह सरकार से मांग करते हैं कि चाइना के सामान को बैन किया जाए।