महाकुंभ में PM मोदी का पवित्र स्नान, भगवा कपड़ा और रुद्राक्ष माला पहनकर संगम में लिया आशीर्वाद (देखिए तस्वीरें)
punjabkesari.in Wednesday, Feb 05, 2025 - 03:02 PM (IST)
Mahakumbh 2025: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को महाकुंभ के अष्टमी स्नान के अवसर पर प्रयागराज के त्रिवेणी संगम में पवित्र डुबकी लगाई। सुबह 10:05 बजे वह बमरौली एयरपोर्ट पहुंचे और वहां से हेलीकाप्टर के जरिए महाकुंभ नगर के डीपीएस मैदान स्थित हेलीपैड पर उतरे। इसके बाद वह कार से अरैल वीआईपी जेटी पहुंचे और वहां से निषादराज क्रूज पर सवार होकर संगम तक पहुंचे।
संगम में स्नान करने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने गंगा पूजा की और देश की समृद्धि और कुशलता के लिए प्रार्थना की। इस दौरान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी उनके साथ थे। महाकुंभ के इस महत्वपूर्ण स्नान अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने रुद्राक्ष की माला पहनकर मंत्रों का जाप किया। इसके बाद वह दिल्ली लौट गए।
महाकुंभ का महत्व और राजनीतिक संदर्भ
महाकुंभ 2025 दुनिया का सबसे बड़ा आध्यात्मिक और सांस्कृतिक आयोजन है, जो दुनिया भर से भक्तों को आकर्षित करता है। यह महाकुंभ 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा से शुरू हुआ था और 26 फरवरी को महाशिवरात्रि तक जारी रहेगा। इस महाकुंभ में अब तक 38 करोड़ से अधिक तीर्थयात्री आ चुके हैं।
प्रधानमंत्री मोदी की संगम में डुबकी को राजनीतिक दृष्टिकोण से भी देखा जा रहा है। यह भाजपा के हिंदुत्व और सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के एजेंडे को मजबूत कर सकता है, जो पार्टी के समर्थकों को जोड़ने का काम करेगा। वहीं, कांग्रेस नेता राहुल गांधी और आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल की महाकुंभ में अनुपस्थिति पर भी चर्चा हो रही है।
भाजपा का महाकुंभ के साथ जुड़ाव
महाकुंभ भाजपा के लिए खास महत्व रखता है, क्योंकि जातिगत जनगणना जैसे मुद्दों को लेकर कांग्रेस, सपा और राजद जैसे दल भाजपा से अनुसूचित जाति और ओबीसी वोट खींचने की कोशिश कर रहे हैं। भाजपा इस आयोजन के जरिए हिंदू समाज में एकता और सांस्कृतिक एकजुटता का संदेश देना चाहती है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी महाकुंभ में डुबकी लगाई और कैबिनेट की बैठक आयोजित की। इस आयोजन में कई भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री, मंत्री, सांसद और विधायक भी शामिल हुए। गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ भी महाकुंभ में पुण्य स्नान कर चुके हैं। महाकुंभ को एकता के महाकुंभ के रूप में प्रचारित किया जा रहा है, जो न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि राजनीतिक दृष्टि से भी भाजपा के लिए एक ताकतवर मंच बन चुका है।