यूपी पुलिस भर्ती परीक्षा: इस तकनीक का इस्तेमाल कर बायोमैट्रिक मशीन को देते थे चकमा

punjabkesari.in Wednesday, Jun 20, 2018 - 10:35 AM (IST)

लखनऊ: उत्तर प्रदेश पुलिस कांस्टेबल भर्ती में पैसे लेकर पेपर हल कराने वाला गिरोह बायोमैट्रिक उपस्थिति प्रणाली की नजरों से बचने के लिए एम-सील का इस्तेमाल करता था। पुलिस ने ना सिर्फ लगभग 50 ऐसे जालसाजों या नकलचियों को पकड़ा है बल्कि इस प्रक्रिया में राज्य में चल रहे एक ऐसे संगठित गिरोह का पर्दाफाश किया है, जो स्काई माइक या अन्य आधुनिक उपकरणों की मदद से हाईटेक नकल कराता था।

उत्तर प्रदेश पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) के महानिरीक्षक अमिताभ यश ने कहा कि अब तक एसटीएफ ने 39 लोगों को गिरफ्तार किया है। इनमें मेरठ के 22 लोग शामिल हैं, जिन्हें आज पकडा गया। इन गिरफ्तारियों के अलावा फैजाबाद और इलाहाबाद जिलों की पुलिस ने 10 लोगों को पकडा। कांस्टेबल के 41 हजार 520 पदों को भरने के लिए भर्ती प्रक्रिया सोमवार को 56 जिलों के 860 परीक्षा केन्द्रों पर शुरू हुई थी। एसटीएफ प्रवक्ता के मुताबिक कौशल पटेल को ​इलाहाबाद से पकड़ा गया है। उसने पूछताछ के दौरान कबूला कि वह परीक्षा पास कराने के लिए आवेदकों से ठेका लिया करता था।

प्रवक्ता ने बताया कि पटेल ने एसटीएफ के सामने यह भी कबूला है कि हम आवेदकों से कुछ एडवांस पैसा लेते थे। बाकी का पैसा पोस्ट डेटेड चेक के रूप में मिलता था। इसके अलावा हम आवेदक का असल पहचान पत्र एवं प्रवेश पत्र ले लिया करते थे।बायोमैट्रिक उपस्थिति प्रणाली की नजर से बचने के लिए हम आवेदक के बाएं और दाहिने अंगूठों का निशान एमसील पर ले लेते थे। इसे जिलेटिन कवर फिंगरटिप बनाने के लिए कोलकाता की प्रयोगशाला में भेजते थे। यही फिंगरटिप साल्वर पहनकर परीक्षा कक्ष में जाता था।

गिरफ्तार लोगों के पास से एमसील के 20 पैकेट भी बरामद हुए हैं। जब पूछा गया कि क्या पहली बार ऐसी तकनीक का इस्तेमाल किया गया है, यश ने कहा कि पूर्व में भी बायोमैट्रिक उपस्थिति प्रणाली को चकमा देने के प्रयास हुए हैं लेकिन एसटीएफ ने ऐसे प्रयासों को विफल कर दिया। इलाहाबाद के एसएसपी नितिन तिवारी ने बताया कि स्पाई माइक्रोफोन और सुनने वाली डिवाइस भी बरामद हुई है।

Anil Kapoor