यूपी पुलिस का हैवानियत भरा चेहरा, बेगुनाह युवक के प्लास से नोंचे नाखून अौर फिर...

punjabkesari.in Sunday, Dec 17, 2017 - 02:32 PM (IST)

कानपुरः यूपी पुलिस अपने काले कारनामों की बजह से अक्सर चर्चा में रहती है। ताजा मामला कानपुर का है, जहां दरोगा ने अपनी वर्दी में बिल्ला बढ़ाने के चलते निर्दोष शहंशाह नाम के युवक को घर से उठाकर लॉकप में बंद कर उसे गोकशी का अपराध कबूल करवाने के लिए पीटता रहा। लेकिन जब उसने ऐसा करने से इंकार कर दिया तो दरोगा पुलिसवालों की मदद से उसके कान और नखूनों को प्लास से नोच कर लहूलुहान कर दिया।पुलिस जब उसे कोर्ट में पेश करती है तो शहंशाह जज के सामने रोने लगता है और पुलिस की प्रताड़ना की कहानी मय सबूतों के साथ बयां कर दी। जज ने उसका मेडिकल सार्टिफिकेट देखने के बाद दरोगा को तलब कर लिया है।

झूठा केस दर्ज कर भेजा जेल
मामला सजेती थाना क्षेत्र के भाद्वारा गांव में रहने वाले जाकिर हुसैन मजदूरी करके अपने परिवार का पालन पोषण करते है। परिवार में पत्नी नजमा बड़ा बेटा शहंशाह ,जनाब ,अन्नू ,पत्तर, राजू के साथ रहते है। पिता के काम में उनका बड़ा बेटा शहंशाह भी हाथ बटाता है। शहंशाह की शादी के 4 साल पहले नगमा से हुई थी और उसके दो बच्चे जानू (03), अलिया (02) है। शंहशाह ने बताया कि मेरा किसी थाने व चौकी में कोई अपराधिक इतिहास नहीं है, लेकिन कुआखेड़ा के चौकी इंचार्ज बृजेश भार्गव ने मुझे विलन बना दिया और झूठा केस दर्ज कर जेल भेज दिया।

पीड़ित ने सुनाई आप बीती
शहंशाह ने बताया कि 13 दिसंबर 2017 की शाम पिता जाकिर मुझे डांट रहे थे। इसी दौरान वहां से कुआखेडा चौकी इंचार्ज बृजेश भार्गव निकल रहे थे। तभी वो एकाएक आ धमके और मुझे मारते हुए चौकी ले गए ,जबकि मेरे पिता उनके हाथ पैर पकड़ कर कहते रहे मैं अपने बेटे को डांट रहा था इसमें चौकी ले जाने वाली बात क्या है। शंहशाह ने बताया कि दरोगा बृजेश भार्गव और अन्य सिपाहियों ने ठंडभरी रात में मेरे हाथ-पैर बांध दिए और मुझसे जबरन गोकशी करने की बात कबूल करने के लिए कहते रहे। लेकिन जब मैंने झूठा जुर्म कबूल करने से इंकार कर दिया तो मेरे कान को प्लास से नोंचते रहे।

छोड़ने के लिए मांगे 10 हजार रुपए
इस दौरान जब मैंने उनकी बात नहीं मानी तो उन्होंने कहा कि तुम 10 हजार की व्यवस्था करवाओ हम तुम्हें छोड़ देंगे। मेरे पिता ने कई लोगों से उधारी लेकर उन्हें 10 हजार रुपए दिए, लेकिन इसके बावजूद पुलिसवालों ने चाकू लगाकर मुझे जेल भेज दिया। जेल भेजने से पहले पुलिस ने मेरा मेडिकल भी कराया था ,लेकिन जब मैं सिविल जज जूनियर डिविजन घाटमपुर के समक्ष पेश हुआ और पूरी घटना की जानकारी जज को बताई तो उन्होंने 15 दिसंबर 2017 को मुझे जमानत दे दी। साथ ही दरोगा को कोर्ट में पेशी के आदेश दिए। इसी के बाद से दरोगा कुछ दबंगों को घर भेज कर मुझ पर समझौते का दबाव बना रहा है। इसकी शिकायत हमने मुख्यमंत्री के जनसुनवाई पोर्टल में की है।

पीड़ित को आई गंभीर चोटें
शंहशाह के वकील राज कुमार शर्मा के मुताबिक पुलिस ने शंहशाह को फर्जी तरीके से चाकू लगाकर जेल भेजा था। जबकि उसका कोई भी अपराधिक इतिहास नहीं है। पुलिस शंहशाह की गिरफ्तार 13 दिसंबर की रात 10 बजे दिखाया है और इसके बाद अगले दिन उसे कोर्ट में पेश किया। शंहशाह के मेडिकल में 6 चोटों के निशान थे जो बेहद गंभीर थी। हमने इसी आधार पर कोर्ट में एक प्रार्थना पत्र दिया था कि पुलिस ने शहंशाह को टार्चर और जबरन वो जुर्म कुबूल करवाने के लिए पीटा। जिसके कारण उसके कान व नखून सहित अन्य चोटें आई। कोर्ट ने हमारी तत्वों को गंभीरता पूर्वक लेते हुए दरोगा बृजेश भार्गव को पेश होने के तलब किया है। साथ ही पुलिस के अलाधिकारियों से पूरे प्रकरण की जांच करने को कहा है।